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सफाई का गंदा तरीका दे रहा मौत
लापरवाही. पुरानी तकनीक पर ही हो रही सेप्टिक टैंक व मैनहोल की सफाई अनिकेत त्रिवेदी पटना : शनिवार को सीवान में सेप्टिक टैंक में सेटरिंग हटाने के दौरान जहरीली गैस का शिकार होने से चार लोगों की मौत हो गयी . वहीं, तीन माह पहले राजधानी में भी गहरे मैनहोल में घुसने के दौरान निकली […]
लापरवाही. पुरानी तकनीक पर ही हो रही सेप्टिक टैंक व मैनहोल की सफाई
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : शनिवार को सीवान में सेप्टिक टैंक में सेटरिंग हटाने के दौरान जहरीली गैस का शिकार होने से चार लोगों की मौत हो गयी . वहीं, तीन माह पहले राजधानी में भी गहरे मैनहोल में घुसने के दौरान निकली गैस से दो मजदूरों की जान जा चुकी है.
दरअसल, सेप्टिक टैंक हो, भूगर्भ नाला हो या बंद पड़ गहरा मैनहोल, इनकी सफाई के पुराने तरीके मजदूरों की जान पर भारी पड़ रहे हैं. वर्तमान समय में भले ही इनके सफाई का तरीका मशीनी हो गया हो, मगर सूबे में मैनुअल सफाई मजदूरों की मौत का कारण बन रही है. जानकार बताते हैं कि बंद पड़े किसी भी बड़े चैंबर में कई तरह के जहरीली गैसों का फार्मेशन हो जाता है. जिससे मजदूरों की पांच मिनट से लेकर आधा घंटा के भीतर जान चली जाती है. बावजूद इसके राज्य के अन्य शहरों की दूर राजधानी में भी मैनहोल की सफाई का तरीका पूरा (मैनुअल) अपनाया जाता है. जो लापरवाही के साथ अमानवीय कृत्य है.
दो मरे, लेकिन बच निकला था काली
बीते जून में शहर के इनकम टैक्स चौराहा पर वर्षों से बंद पड़े नाले की सफाई के लिए मैनहोल में उतरने वाले दो मजदूरों की जान चली गयी थी.
उस दौरान 19 वर्षीय मजदूर काली बच गया था. रविवार को प्रभात खबर टीम ने उससे फिर बात की. काली उस दिन को याद करने हुए सिहर गया. उनसे बताया था कि साथ काम करने वाले जितेंद्र से पहले वो भी 20 फुट गहरे मैनहोल उतरा था. सफाई निरीक्षक के पास भी नाले के बारे में जानकारी नहीं थी. बगैर किसी सुरक्षा उपकरण के हमें नीचे उतरने के लिए कहा गया. लगभग पांच फुट अंदर गया ही था कि इतना तेज गैस लगा कि मेरा सर घूमने लगा. फिर तेजी से बाहर आ गया. मैंने काम करने से मना कर दिया. इसके बाद दो लोग गये और दोनों मर गये.
एक नजर
राजधानी में तीन माह पहले मैनहोल में दो मजदूरों की जान जा चुकी है. शनिवार को सीवान में सेप्टिक टैंक में चार मजदूर मर गये.
जहरीली होती है मिथेन
पटना विश्वविद्यालय के रसायन विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर अभय कुमार बताते हैं कि इस तरह के मामलों में मजदूरों की मृत्यु का कारण तीन प्रकार की गैस होती है. प्रोफेसर के अनुसार जहां भी जैविक पदार्थ सड़ता है या बहुत दिनों तक जमा रहता है, वहां मिथेन या हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी जहरीली गैस बनने लगती है
दस से पंद्रह दिनों के भीतर अंदर बंद पड़े छोटे टैंक में इतना मिथेन गैस जमा हो जाता है कि कई लोगों की जान जा सकती है. वहीं बंद पड़े खाली मैनहोल या किसी बड़े अंडरग्राउड हॉल या कुआं में कार्बन डाइ आॅक्साइड जमा होता है. जो भारी गैस होने से लोगों की जान ले लेता है. मिथेन गैस किसी भी व्यक्ति को पांच से दस मिनट के भीतर मौत के घाट उतार सकती है. वहीं, कार्बन-डाइ-आॅक्साइड से 15 मिनट से आधे घंटे के भीतर जान जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने लगा रखी है रोक
नगर निगम कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश सिंह बताते हैं कि सबसे पहले हो सुप्रीम कोर्ट ने इस तरफ अंडरग्राउंड सफाई के मैनुअल तरीके पर रोक लगा रखा है. फिर भी अगर निगम या अन्य कोई संस्था इस तरह की सफाई कराती है तो इसके लिए बकायदा गाइड लाइन जारी की गयी है. इस गाइड लाइन को फॉलो करने पर ही किसी को सफाई के लिए अंदर भेजा जा सकता है.
ऐसी सफाई के लिए क्या है गाइडलाइन
इस तरह के चेंबर को कम से कम छह घंटा पहले खोल दिया जाता है. इसके बाद ही कोई अंदर जा सकता है. गंदे नाले या टैंक में पहले माचिस जलाकर डालना होता है. इससे मिथेन गैस की जानकारी मिलती है. इसके बाद ऑक्सीजन सेलिंडर के साथ मास्क लगाकर ही कोई जा सकता है. लाइट व रस्सी से बंधा बेल्ट लगाकर वाॅकी-टॉकी के साथ अंदर जाना होता है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर व्यक्ति को बाहर खींच लिया जाये.
क्या हैं नये तरीके
सबसे पहले तो सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों तक संक्शन मशीन वाले टैंक उपलब्ध है. कई जगहों पर ये सुविधा प्राइवेट व कई नगर निकाय भी इस तरह की सुविधा उपलब्ध कराते हैं. इसके अलावा बड़े शहरों में गहरे नालों की सफाई के लिए बड़ी डिसेल्टिंग मशीन से नालों की सफाई की जाती है. इनमें हाइ प्रेशर युक्त पाइप नाले के भीतर डालकर सिल्ट को खींच लेता है.
केस स्टडी
11 अप्रैल 2017 को जमशेदपुर के कदमा रामदास भट्ठा हेल्थ डिपो के भीतर स्थित सिवरेज के मेन होल में गिरकर असगर खान एंड कंपनी का ठेका कर्मचारी लोको कॉलोनी हरिजन बस्ती निवासी गणेश करुआ (28) की मौत हो गयी.
15 जुलाई 2017 को दिल्ली में टैंक की सफाई के लिए उतरे मजदूरों में चार की जहरीली गैस से मौत.
24 अगस्त 2015 को दिल्ली में सेप्टिक टैंक में उतरे दो मजदूरों की जहरीली गैस से मौत हो गयी थी.
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