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BIHAR : शराबबंदी ने बदल दी भिट्ठी की फिजा

मिसाल : करैली ब्रांड का देशी दारू बनानेवाला परिवार आज कर रहा स्वरोजगार सबौर थाने के भिट्ठी गांव में एक करैली चौधरी हुआ करते थे, जिनका पूरा परिवार दारू के कारोबार से जुड़ा था. उसके यहां निर्मित दारू उसके नाम से (करैली) ब्रांड बन चुका था. 2012 में घर के कुएं में दारू के लिए […]

मिसाल : करैली ब्रांड का देशी दारू बनानेवाला परिवार आज कर रहा स्वरोजगार
सबौर थाने के भिट्ठी गांव में एक करैली चौधरी हुआ करते थे, जिनका पूरा परिवार दारू के कारोबार से जुड़ा था. उसके यहां निर्मित दारू उसके नाम से (करैली) ब्रांड बन चुका था. 2012 में घर के कुएं में दारू के लिए महुआ फुलाया था, जिसमें एक बकरी गिर गयी थी. उसे निकालने के दौरान कुएं में एक-एक कर उतरे चार लोगों को मौत हो गयी थी.
मृतकों में करैली चौधरी और उसके दोनों बेटे दीपक चौधरी व संजय चौधरी भी शामिल थे, लेकिन उसके बाद भी यहां महिलाओं की कमान में दारू बनाने का काम जारी रहा. जब राज्य सरकार ने पूर्ण शराबबंदी लागू की, तो पूरे गांव में दारू बनना बंद हो गया. इससे कई परिवारों के सामने भुखमरी की नौबत आ गयी. लेकिन, करैली चौधरी के परिवार की महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी. महाजन से ब्याज पर रुपये उधार लेकर नाश्ता और श्रृंगार प्रसाधन की दुकान शुरू की. देखते-ही-देखते गांव के कई लोगों ने विभिन्न प्रकार की दुकानें खोल लीं और इस प्रकार भिट्ठी की फिजा बदल गयी.
सरकार के निर्णय ने बदली जिंदगी
करैली चौधरी की बहू सुनीता चौधरी कहती हैं कि पति तो हादसे में गुजर गये. उसके बाद जिंदगी किसी तरह चल रही थी. सरकार ने जब शराबबंदी का निर्णय लिया, तो हमारी जिंदगी बदल गयी. आज हम समाज में सिर उठा कर जी रहे हैं.
अब जाने लगी मुनियां
ककहरा सीखने
पहले गांव में छोटे लड़के दारू की डिलिवरी देने में लग जाते थे. लड़कियां भट्ठियों में माता-पिता का सहयोग करती थी. अब स्थितियां बदल गयी हैं. लड़के तो पढ़ ही रहे हैं, लड़कियां भी भयमुक्त होकर स्कूल जाने लगी हैं.
शृंगार प्रसाधन व नाश्ते की दुकान से चल पड़ी है जिंदगी की गाड़ी
आर्थिक बदहाली के बावजूद बच्चों को स्कूल जाते देखना देता है सुकून
अपनी शृंगार प्रसाधन की दुकान में पिंकी
शृंगार प्रसाधन की दुकान चला रही पिंकी चौधरी कहती हैं कि दारू बंद होने से एक सुकून भरी जिंदगी जी रही हूं. घर और समाज का माहौल बदल गया है. अब लगता है हम पटरी पर चल पड़े हैं. थोड़ी आर्थिक परेशानी है, लेकिन रिश्तेदारी और अन्य जगहों पर हम सिर उठा कर जी सकते हैं.

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