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Patna : ग्रामीणों ने खुद बनाया नदी पार करने को बांस की चचरी का पुल

70 हजार रुपये की लागत से बना पुल मसौढ़ी : मसौढ़ी प्रखंड के भगवानगंज क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों के लोगों की शिवचक गांव के पास मोरहर नदी पर पुल बनाने की वर्षों पुरानी मांग को नेता व अधिकारियों ने अनसुना कर दिया. थक-हार कर शिवचक समेत पांच गांवों के ग्रामीणों ने बीते माह बैठक […]

70 हजार रुपये की लागत से बना पुल
मसौढ़ी : मसौढ़ी प्रखंड के भगवानगंज क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों के लोगों की शिवचक गांव के पास मोरहर नदी पर पुल बनाने की वर्षों पुरानी मांग को नेता व अधिकारियों ने अनसुना कर दिया.
थक-हार कर शिवचक समेत पांच गांवों के ग्रामीणों ने बीते माह बैठक कर नदी पर बांस की चचरी पुल खुद के द्वारा चंदा इकठ्ठा कर बनाने का फैसला ले लिया और बीते एक सप्ताह में करीब 70 हजार रुपये की लागत से चचरी का पुल बना डाला. रविवार को इस चचरी पुल से आवागमन भी शुरू हो गया. इसे लेकर इन गांवों के लोगों के बीच खुशी का लहर है. शिवचक समेत इन पांच गांवों के ग्रामीणों का कहना है कि पहले सड़क से अनुमंडल मुख्यालय जाने में हमें 20 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी. चचरी पुल के बन जाने से यह दूरी मात्र अब आठ किलोमीटर की ही रह गयी है.
जानकारी के अनुसार भगवानगंज थाना का शिवचक, मीरचक, करवां, जाहिदपुर व सरवानीचक गांवों के लोगों को प्रखंड व अनुमंडल मुख्यालय आने के लिए गांव से पश्चिम सड़क से 20 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी, जबकि शिवचक गांव के पास मोरहर नदी को पार कर आने में यह दूरी मात्र आठ किलोमीटर रह जाती है . इस वजह से ग्रामीण नदी पार कर ही मसौढ़ी आते-जाते हैं .बरसात को छोड़ दिया जाये, तो उन्हें आने-जाने में उतनी परेशानी नहीं होती, जितनी बरसात में उन्हें परेशानी उठानी पड़ जाती है.
ग्रामीण इंदल पासवान,रामप्रवेश पासवान,अयोध्या पासवान, प्यारे रविदास, शिव चौधरी आदि का कहना था कि नदी पर एक पुल जिससे लोग आ-जा सकें के निर्माण की मांग करीब चार-पांच वर्षों से नेता से अधिकारी तक की गयी ,लेकिन कहीं हमलोगों की फरियाद नहीं सुनी गयी . इनका कहना था कि तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था के तहत एक नाव की भी मांग की गयी थी, लेकिन नाव भी नहीं मिल पायी . थक-हार कर ग्रामीणों ने खुद की खर्च पर बांस की चचरी का पुल बनाने का फैसला बैठक कर ले लिया और इसे रविवार को मूर्त रूप दे दिया गया.
नेता से अधिकारी तक गुहार लगाने के बावजूद नहीं हुई कोई सुनवाई
गांव में था खुशी का माहौल
चचरी पुल बन कर तैयार हो जाने के बाद रविवार की सुबह से लोगों का आना-जाना शुरू हो गया. इसे देखने के लिए इन गांवों की महिलाएं नदी किनारे पहुंची थीं. इनके चहरे पर खुशी की लकीरें साफ झलक रही थीं .देखने से ऐसा लग रहा था मानो कोई उत्सव है .
10 मजदूरों ने एक सप्ताह तक कार्य किया
ग्रामीण इंदल पासवान ने बताया कि आपस में ही चंदा इकठ्ठा कर उक्त चचरी पुल को बनाया गया है . इसे बनाने में कुल 70 हजार रुपये की लागत आयी है .चचरी पुल में करीब 225 बांस व 100 किलो कांटी लगी है , जबकि गांव के ही दस मजदूरों ने एक सप्ताह तक कार्य को पूरी मेहनत से किया . चचरी पुल रविवार को तैयार हो गया, जिससे आवागमन शुरू हो गया.

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