पटना : नगर निगम क्षेत्र के कई वार्डो में जहां जनता जलजमाव, गंदगी व टूटी सड़कों से गुजरने को विवश रही, वहीं विकास मद की राशि निगम के खाते में पड़ी रह गयी. यह प्रशासनिक उदासीनता का नमूना है. वार्ड स्तर पर नागरिक सुविधाओं की योजना पर नगर व आवास विकास विभाग ने 106 करोड़ रुपये की स्वीकृत दी, लेकिन निगम प्रशासन की अनदेखी से काम नहीं हो सका. अब इस राशि को वित्तीय वर्ष 2014-15 में खर्च करने की योजना है.
कहां खर्च होनी थी राशि. निगम प्रशासन को सड़क व नाला निर्माण तथा वित्त आयोग से विभिन्न मदों में योजना पूरी करने के लिए राशि मिली. मलिन बस्तियों में सार्वजनिक शौचालय व विद्युतीकरण, ठोस कचरा प्रबंधन, सफाई उपकरण की खरीदारी, जलापूर्ति एवं सफाई के लिए राशि स्वीकृति की गयी. वार्ड स्तर पर सामूहिक योजना की राशि नहीं थी, बल्कि जन समस्याओं वाले वार्डो के लिए राशि स्वीकृत की गयी थी, लेकिन स्थिति यथावत रही.
क्या थी वजह
मेयर व नगर आयुक्त के बीच विवाद राशि खर्च नहीं होने की सबसे बड़ी वजह थी. मुख्य नगर अभियंता भी लंबे समय तक नहीं रहे. प्रभार में कार्य देख रहे अभियंता ने योजना को पूरी करने में विशेष रुचि नहीं दिखायी.
छह माह में राशि होगी खर्च
नगर आयुक्त कुलदीप नारायण ने किस मद में कितनी राशि निगम खाते में पड़ी है. उसकी सूची तैयार करवायी है. चुनाव आचार संहिता खत्म होते ही स्वीकृत राशि खर्च की जायेगी. जून-जुलाई तक पिछले वर्ष मिली राशि खर्च करने की योजना बनायी गयी है. छह माह में निगम बोर्ड की बैठक कर योजनाओं की प्रगति पर विस्तृत रिपोर्ट बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत की जायेगी.