पटना : सृजन अस्पताल के प्रबंधकीय कर्मचारी पुरुषोत्तम मिश्र के हत्यारों ने सोची समझी नीति के तहत घटना को अंजाम दिया था. पुलिस सूत्रों के अनुसार इसके लिए एक माह से अस्पताल से बैंक तक के हर ठिकानों की रेकी की. अपराधी आपस में संपर्क करने के लिए किसी तरह मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं किया था. बैंक ऑफ बड़ौदा के सामने घटना को अंजाम देने के बाद अपराधी पैदल ही भागे थे. बैंक के समीप भागने के तीन रास्ते थे, जिनका इस्तेमाल कर वह फरार हो गये.
नहीं किया फोन का उपयोग : पुलिस के अनुसार उक्त अपराधियों ने एक माह से सृजन अस्पताल व बैंक रास्ते की रेकी की थी. इस दौरान वह भागने के तरीके व बैंक के समीप भागने वाले रास्ते के बारे में पूरी जानकारी एकत्रित की थी. संभव है कि इसके लिए अपराधियों ने रिहर्सल भी किया होगा. घटना के अंजाम देने से पहले एक माह तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं किया था. यदि किया भी होगा, तो उसमें लूट या इस तरह की घटना को अंजाम देने के बारे में कोई बात नहीं की थी.
बैंक के समीप अपराधियों ने पुलिस कैमरे की जांच की, जिसके बाद उसने घटना के लिए बैंक के सामने वाले स्थान को चुना. हमेशा बनी रहती है घटना की आशंका बैंक, अस्पताल, केंद्रीय विद्यालय व उच्च विद्यालय उसके बाद भी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं. भले ही पुलिस उक्त जगहों पर बैंक व बच्चों की सुरक्षा के लिए तैनात हो, लेकिन सड़क पर कोई सीसीटीवी नहीं रहने से उक्त जगह क्राइम के लिहाज से संवेदनशील बना हुआ था. सूत्रों के अनुसार, बैंक के गार्ड पुराने समय की बंदूक लिये पहरेदारी करते हैं, जबकि अस्पताल प्राइवेट सुरक्षाकर्मी के हवाले है.
बैंक में तैनात पुलिसकर्मी पूरी तरह से लापरवाह बने रहते हैं. बैंक व अस्पताल के अलावा केंद्रीय विद्यालय होने की वजह से वहां पर बड़ी रकम का ट्रांजक्शन होता है. ऐसे में लूट, अपहरण होने की आशंका हमेशा बनी रहती है. इस संबंध में एसएसपी मनु महाराज कहते हैं कि वहां पर घटना के दिन तैनात पुलिसकर्मियों से पूछताछ कर रही है. अपराधियों को गिरफ्तार करने के साथ ही उक्त घटना में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जायेगा.