पटना: मनेर के दियारा इलाके में शंकर दयाल सिंह सिंह उर्फ फौजी ने (आरा) में ऐयाशी का अड्डा बना रखा था. पुलिस ने जब छापेमारी की थी, तो उसके टेंट से कुछ कंडोम भी बरामद किये गये थे, जिससे इसके संकेत मिलते हैं. सूत्रों का कहना है कि प्रतिदिन डेढ़ लाख की आमदनी के कारण लड़कियां उसकी कमजोरी बन चुकी थीं और विभिन्न इलाकों से पैसे दे कर वेश्यावृत्ति में लिप्त यवुतियों को दियारा लाया जाया जाता था. युवतियों को रात भर रखने के बाद सुबह में उन्हें गिरोह के सदस्य घर पहुंचा देते थे.
मोरचाबंदी कर रहता था टेंट में : बताया जाता है कि पुलिस का भी उसे खौफ नहीं था और वह दियारा में टेंट बना कर उसमें रहता था. वह जहां भी टेंट लगाता था, उसके इर्द-गिर्द पूरी तरह मोरचाबंदी करवा लेता था. सुरक्षा को लेकर दिन और रात में गिरोह के एक न एक सदस्य की ड्यूटी लगी रहती थी, ताकि किसी तरह का हमला हो तो तुरंत ही जवाब दिया जा सके. इसके अलावा जहां भी टेंट लगाया जाता था, उस स्थान पर गड्ढा खोद कर बंकर बनाया जाता था. चूंकि फौजी पारा दस बटालियन का कमांडो रह चुका था और उसने सारी ट्रेनिंग ले रखी थी, इसलिए उसका उपयोग वह अपनी तथा गिरोह के सदस्यों की सुरक्षा को लेकर हमेशा करता था. इसकी वजह से कोई भी दूसरा गिरोह उस पर हमला करने से डरता था. अपने गिरोह के सदस्यों को भी जगह-जगह पर तैनात रखता था, ताकि कहीं से भी वह जवाबी कार्रवाई क र सके.
क्या है स्नाइपर राइफल : बेल्जियम निर्मित स्पींड फिल्ड माउजर कंपनी की स्नाइपर राइफल को हथियार की उच्चस्तरीय श्रेणी रखा जाता है. इसकी मारक क्षमता 850 मीटर तक है, जबकि इनसास, एके 56, एके 47 जैसे हथियारों की मारक क्षमता तीन सौ से चार सौ मीटर के बीच ही है. स्नाइपर की खास बात यह है कि इसमें टेली स्कोप भी लगाया जा सकता है, जिससे सटीक निशाना काफी दूर से भी लगाया जा सकता है. एक बार में इसके चाजर्र में 11 कारतूसें लगाये जा सकते हैं.
काट ली जाती थी फसल : सरगना फौजी के विषय में बताया जाता है कि यह सेना में कमांडो था और देश के कोने-कोने में ड्यूटी कर चुका था. वह कभी-कभी ही छुट्टी में अपने घर आता था. आरा के बड़हरा के करमा स्थित गांव में उसके पास दो सौ बीघा जमीन थी. बताया जाता है कि उस जमीन पर होनेवाली फसल एक दबंग के इशारे पर काट ली जाती थी. बदले की नीयत से सेना से एके 47 राइफल लेकर वह भाग गया और उसने उक्त दबंग की हत्या कर दी थी. हालांकि, लेकिन इस मामले में किसी प्रकार की प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी थी.
मुखियाकांड में फिर हो सकती है पूछताछ
फौजी को जल्द ही रिमांड पर ले कर पूछताछ की जायेगी. इसके लिए आवश्यक तमाम कार्रवाई की जा चुकी है. पुलिस को उम्मीद है कि एक -दो दिनों में उसे रिमांड पर लेने की अनुमति मिल जायेगी. इसके साथ ही यह भी संभावना बन रही है कि ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में सीबीआइ की टीम फिर से उससे पूछताछ कर सकती है, क्योंकि उसने मुखिया हत्याकांड से जुड़ी कुछ जानकारियां पटना पुलिस को दी थी.
जंगल से भी की जाती थी निगरानी
यही नहीं, गंगा नदी के किनारे व नाव पर रंगदारी वसूलने के लिए भी टीमें लगी रहती थीं तथा उनकी सुरक्षा के लिए कुछ दूरी पर स्थित जंगल में अन्य टीमें मोरचाबंदी पर रहती थीं. हमला होने की स्थिति में जंगल की टीमें कड़ा जवाब दे सके. इसमें उसे बेल्जियम निर्मित स्पींड फिल्ड माउजर कंपनी की स्नाइपर राइफल से काफी मदद मिलती थी.