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अमावस्या महोत्सव पर हुई दादीजी की विशेष मंगल आरती
संपन्न हुआ श्याम बदी महोत्सव सुबह से ही जुटे थे सैकड़ों लोग पटना : श्री दादीजी सेवा समिति द्वारा आयोजित दो दिनों तक चलने वाले भादो बदी अमावस्या महोत्सव के दूसरे दिन सुबह छह बजे से दादीजी की विशेष मंगल आरती की गयी तथा उसके बाद दिन भर जाप एवं पूजन चलता रहा महिलायें राजस्थानी […]
संपन्न हुआ श्याम बदी महोत्सव
सुबह से ही जुटे थे सैकड़ों लोग
पटना : श्री दादीजी सेवा समिति द्वारा आयोजित दो दिनों तक चलने वाले भादो बदी अमावस्या महोत्सव के दूसरे दिन सुबह छह बजे से दादीजी की विशेष मंगल आरती की गयी तथा उसके बाद दिन भर जाप एवं पूजन चलता रहा
महिलायें राजस्थानी वेश भूषा में सज धज कर आरती गा रही थी. इस अवसर पर दादी जी काविशेष श्रृंगार भी किया गया. विशेष मंगल आरती के लिए सुबह से ही सैकड़ों की संख्या में भक्तगण दादीजी मंदिर परिसर में इकट्ठे होने लग गए थे. सभी भक्तों ने मंगल आरती के बाद छप्पन भोग प्रसाद श्री दादीजी को लगाया गया तथा भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण हुआ. न्यास के मुख्य संस्थापक अमर कुमार अग्रवाल ने बताया की भादो बदी अमावस्या महोत्सव के दूसरे दिन सुबह से ही महिलाएं एवं पुरुष मंगल आरती के लिए कतार में लग कर आरती किये. आरती के बाद दादीजी की पूजा अर्चना करने के लिए भक्तगणों ने स्वास्तिक बनाकर रोली , मेंहदी ,चावल, पेड़ा , चुनरी के साथ बहुत सारे श्रृंगार के सामान दादीजी को चढ़ाकर पूजा अर्चना की. संध्या में छह बजे से श्री दादीजी का विशेष भजन कीर्तन शक्तिधाम महिला मंडल एवं श्री श्याम मंडल द्वारा किया गया.
श्रद्धालुओं ने किया स्नान दान सुबह से ही घाटों पर उमड़ी भीड़
पटना : सोमवती अमावस्या के अवसर पर श्रद्धालुओं ने सोमवार को गंगा स्नान के बाद दान किया. राजधानी के गंगा घाटों पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. सुबह से ही गंगा घाटों पर स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं ने मंदिरों में पूजा अर्चना की साथ ही दान दक्षिणा देकर पुण्य भी कमाया.
सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान, दान एवं देव/पितृ तर्पण करने का सबसे बड़ा महत्व है. पूरे वर्ष भर जब मनुष्य पितृ तर्पण करता है तो जिस कुशा का प्रयोग करता है उसे ग्रहण करने का दिन भाद्रपद अमावस्या होती है. यदि वह अमावस्या सोमवार की पड़े तो अधिक पुण्यदायी मानी जाती है.क्योंकि सोमवार को पृथ्वी पर सोमांश प्राप्त होता है. पं श्रीपति त्रिपाठी कहते हैं कि चन्द्रमा जल का कारक है जलतत्व और सोमांश की प्राप्ति अमावस्या को अमृत के समान मानी गई है.
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