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41 दिनों में टोइंग एजेंसी ने कमाये 28 लाख, सरकार को मिले मात्र 8.96 लाख

अनुपम कुमार पटना : टोइंग अभियान से गैर पार्किंग क्षेत्र में गाड़ियों का लगना बंद नहीं हुआ है. वसूली गयी जुर्माना राशि से सरकारी राजस्व में भी बहुत वृद्धि नहीं हुई है, लेकिन टोइंग सर्विस देने वाली कंपनी की जेब लगातार भर रही है. एक जुलाई से 10 अगस्त, 2017 तक 41 दिनों में टोइंग […]

अनुपम कुमार
पटना : टोइंग अभियान से गैर पार्किंग क्षेत्र में गाड़ियों का लगना बंद नहीं हुआ है. वसूली गयी जुर्माना राशि से सरकारी राजस्व में भी बहुत वृद्धि नहीं हुई है, लेकिन टोइंग सर्विस देने वाली कंपनी की जेब लगातार भर रही है. एक जुलाई से 10 अगस्त, 2017 तक 41 दिनों में टोइंग चार्ज के रूप में उठाये गये वाहनों से 28,48,750 रुपये वसूले गये, जबकि फाइन के रूप में सरकारी खाते में मात्र 8,96,400 रुपये जमा हुए.
एक वर्ष से चल रहा टोइंग अभियान : पिछले वर्ष से पटना ट्रैफिक पुलिस ने सड़क पर खड़े किये गये वाहन और अवैध पार्किंग से निबटने के लिए टोइंग अभियान शुरू किया है. इसके अंतर्गत गैर पार्किंग क्षेत्र मेें खड़ी की गयी गाड़ियों को क्रेन से उठा कर पुलिस पोस्ट पर लाया जाता है अाैर टोइंग चार्ज व जुर्माना वसूला जाता है. जुर्माने की राशि सरकारी खाते में जमा होती है, जबकि टोइंग चार्ज ठेकेदार कंपनी के खाते में जाती है, जिसके जिम्मे गाड़ियों को उठा कर पोस्ट तक ले जाना है.
महज 100 रुपये फाइन का प्रावधान
जुर्माने के रूप में कम राशि की वसूली की बड़ी वजह गैर पार्किंग क्षेत्र में पार्किंग के लिए केवल 100 रुपये का जुर्माना वसूलने का प्रावधान है. इस राशि का निर्धारण 1988 के एमवीआइ एक्ट के अनुसार हो रहा है.
2016 में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा स्वीकृत मोटर व्हीकल (संशोधन) विधेयक में यह रकम बढ़ा कर 500 रुपये कर दिया गया है, लेकिन अभी यह प्रभावी नहीं है. पाॅल्यूशन सर्टिफिकेट, गाड़ी का रजिस्ट्रेशन या इश्योरेंस नहीं होने पर एक-एक हजार और ड्राइविंग लाइसेंस नहीं होने पर 500 रुपये अतिरिक्त फाइन का प्रावधान है. इन सबके बावजूद राजस्व में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पायी है और टोईंग चार्ज की तुलना में यह बहुत कम है.
11 क्रेन लगी है टोइंग में
पटना में टोइंग का टेंडर ‘ स्वदेश टोइंग एंड पार्किंग ‘ नामक एजेंसी को दिया गया है. उसके 11 क्रेन इस काम में लगी है. एजेंसी की मानें, तो हर गाड़ी के लिए उसे चालक के साथ दो सहयोगी स्टाफ भी रखना पड़ता है. गाड़ी के ईंधन, स्टाफ के वेतन और समय-समय पर उसमें आनेवाली खराबी को दूर करने पर होने वाले खर्च को जोड़ कर प्रति गाड़ी पांच हजार रुपये प्रतिदिन परिचालन व्यय है. ऐसे में उसके मुनाफे का अंश बड़ा नहीं है. साथ ही, ठेकेदार एजेंसी तय दरों को कॉन्ट्रैक्ट के अनुरूप बता कर भी अपना दामन साफ बता रही है.
41 दिनों में उठाये गये 6,269 वाहन
एक जुलाई से 10 अगस्त तक एजेंसी ने 6,269 वाहनों को उठाया. उनमें 2249 कार व अन्य चारपहिया वाहन थे, जबकि 4020 बाइक व अन्य दोपहिया वाहन थे. प्रति चारपहिया वाहन Rs 650 टोइंग चार्ज वसूले, जो कुल Rs 14,61,850 थे. बाइक से प्रति बाइक Rs 345 टोइंग चार्ज के रूप में वसूले गये, जो कुल Rs 13,86,900 थे. कुल जुर्माना Rs 8,96,400 वसूले गये.
छह सड़कों पर अभियान
राजा बाजार, वोल्टास मोड़, फ्रेजर रोड, एक्जीबिशन रोड, अशोक राजपथ, गांधी मैदान सर्किल
प्राइवेट एजेंसी की मदद लेने से हमारे संसाधन बढ़ गये हैं. सरकार को बिना अपनी तरफ से कुछ लगाये हर महीने सात-आठ लाख रुपये की आय हो रही है. दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे महानगरों की तुलना मेंं टोइंग चार्ज भी अधिक नहीं है.
पीके दास, ट्रैफिक एसपी

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