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कामना ही क्रोध की जननी
पटना : कदमकुआं में चल रहे पंच दिवसीय ज्ञान यज्ञ में स्वामी प्रज्ञानंद जी महाराज ने गीता के गूढ़ रहस्यों व गृहस्थी के दिव्य उपायों पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि घर में सुख शांति तभी मिलती है जब कटीपन का अभाव हो. फलों में आसक्ति का अभाव हो. कामना ही क्रोध की […]
पटना : कदमकुआं में चल रहे पंच दिवसीय ज्ञान यज्ञ में स्वामी प्रज्ञानंद जी महाराज ने गीता के गूढ़ रहस्यों व गृहस्थी के दिव्य उपायों पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि घर में सुख शांति तभी मिलती है जब कटीपन का अभाव हो. फलों में आसक्ति का अभाव हो. कामना ही क्रोध की जननी है.
जब भी व्यक्ति किसी वस्तु या पदार्थ की कामना करता है और कामनापूर्ति में बाधा आती है तो व्यक्ति को क्रोध उत्पन्न हो जाता है. क्रोध के आने पर बुद्धि के विनाश और स्मृति के भ्रमित हो जाने पर मनुष्य अपने मूल स्वभाव से नीचे गिर जाता है तथा उसका पतन हो जाता है.
महाराज श्री ने कहा कि व्यक्ति लोभ व लालच से वशीभूत होकर ही पाप का आचरण करता है. यदि व्यक्ति के जीवन में लोभ व लालच नहीं रहे तो उसके द्वारा किसी भी तरह का पाप नहीं हो पायेगा. काम क्रोध व लोभ ही मनुष्य को नरक के द्वार पर पहुंचा देता है. सभी पापों की जननी काम व क्रोध है. कथा में राजनधारी शर्मा, राकेश, शंभू, धर्मेंद्र, सुधीर आदि मौजूद रहे.
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