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राहुल से नीतीश की भेंट की है खास वजह, कुर्बानियां देकर गंठबंधन बचाने का हो सकता है साझा प्रयास

नयी दिल्ली : बिहार में महागंठबंधन के बीच जारी तनातनी के बीच कांग्रेस रेफरी का भूमिका निभाने के लिए तैयार है. साथ ही यह भी संभव है कि कांग्रेस इसके लिए निजी स्तर पर भी कोई कुर्बानी दे दे, जो बिहार नहीं हिमाचल प्रदेश में हो सकती है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार के […]

नयी दिल्ली : बिहार में महागंठबंधन के बीच जारी तनातनी के बीच कांग्रेस रेफरी का भूमिका निभाने के लिए तैयार है. साथ ही यह भी संभव है कि कांग्रेस इसके लिए निजी स्तर पर भी कोई कुर्बानी दे दे, जो बिहार नहीं हिमाचल प्रदेश में हो सकती है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार के प्रभारी महासचिव सीपी जोशी को यह जिम्मेवारी सौंपी है कि वे तेजस्वी प्रकरण परबातकरें. सूत्रों के अनुसार, सीपी जोशी को राहुल गांधी ने राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से बात करने की जिम्मेवारी सौंपी है. उल्लेखनीय है कि जनता दल यूनाइटेड चाहता है कि बेनामी संपत्ति मामले में सीबीआइ एफआइआर का सामना कर रहे तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री पद पर बने रहने को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करें. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, शनिवार को बिहार के मुख्यमंत्री व जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने राहुल गांधी के समक्ष तेजस्वी यादव को लेकर अपनी आपत्तियां रखीं तो राहुल ने कहा कि इस मामले को उनकी पार्टी के प्रभारी महासचिव सीपी जोशी देखेंगे और लालू प्रसाद यादव से बात करेंगे.

शनिवार को बिहार के मुख्यमंत्री व जदयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार अपने व्यस्त दिल्ली दौरे के दौरान उपमुख्यमंत्री व राजद नेता तेजस्वी यादव के मुद्दे पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सेमिलेथे. राहुलसे नीतीश कीमुलाकात अनायास नहीं थी. इसकी ठोस वजहें थी और यह नीतीश की सधी हुई राजनीतिक शैली का एक हिस्सा है.

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गंठबंधन पार्टनर होने के बावजूद राहुल गांधी व लालू प्रसाद यादव के संबंध पर मीडिया में सवाल उठते रहे हैं. राहुल गांधी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे लालू प्रसाद यादव के साथ मंच साझा करने से हमेशा बचते रहे हैं, जबकि लालू प्रसाद यादव भी इसके जवाब में राहुल के नाम का राजनीति में मजबूती से उल्लेख करने से परहेज करते रहे हैं.

राहुल गांधी का यह निजी प्रयास रहा है कि उनकी छवि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर नेता की बने. इसलिए उन्होंने यूपीए – 2 शासन में आरोपी नेताओं को चुनाव लड़ने का मौका देने वाले मनमोहन सरकार के अध्यादेश को सार्वजनिक रूप से फाड़ कर फेंक दिया था, जिसके अस्तित्व में आने की स्थिति में लालू प्रसाद यादव को भी राहत मिलती.

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वहीं, लालू प्रसाद यादव के राहुल की मां व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से संबंध अधिक अनुकूल हैं. सोनिया गांधी कई बार संकट की घड़ी में लालू प्रसाद यादव के लिए पूर्व के सालों में संरक्षक के रूप में दिख चुकी हैं.ऐसा मानाजाताहै कि सोनिया गांधी लालू को दूसरों के मुकाबले कांग्रेस का एक भरोसेमंद राजनीतिक सहयोगीमानती हैं.

वीरभद्र सिंह की अड़चन

हालांकि कांग्रेस के लिए एक मुश्किल यहकिवहलालूप्रसादयादवको अपनेपुत्रतेजस्वी यादव को इस्तीफादेने के लिए किस मुंह से कहे, जबकिहिमाचलप्रदेशमेंउसके मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंहभी भ्रष्टाचारके आरोपों से घिरे हैं. ऐसे में लालू प्रसाद यादव कांग्रेस के पास इस मुद्दे को उठा सकते हैं और अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं. ऐसे में कांग्रेसको संभवत: राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपना स्टैंडसाफ करना पड़ सकता हैऔर वीरभद्रपरभी कार्रवाई करनेका नैतिक दबाव बन सकता है. सबकेसामने 2019 में मोदी-शाह की जोड़ीकीचुनौती है, इसलिएकुछकुर्बानियां देकर बीच का राह निकाला जा सकता है.

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