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खनन माफिया अब सोशल मीडिया का कर रहे हैं इस्तेमाल, व्हाट्सएप से अवैध बालू लदे ट्रकों को कराया जा रहा पार

कृष्ण कुमार पटना : अवैध खनन से निकले बालू को घाट से बेरोकटोक अन्य जगह पहुंचाने के लिए माफिया अब सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह सारा खेल व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये चल रहा है. इस ग्रुप पर संबंधित ट्रक का नंबर डाल दिया जाता है. इससे जुड़े अधिकारी इसे देख रहे होते […]

कृष्ण कुमार
पटना : अवैध खनन से निकले बालू को घाट से बेरोकटोक अन्य जगह पहुंचाने के लिए माफिया अब सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह सारा खेल व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये चल रहा है. इस ग्रुप पर संबंधित ट्रक का नंबर डाल दिया जाता है. इससे जुड़े अधिकारी इसे देख रहे होते हैं और उनकी मिलीभगत से ट्रक चेकपोस्ट के पार चला जाता है. इस कारोबार से जुड़े लोग रोज अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं.
इसका सरगना पटना में बैठकर राज्य में पूरे सिस्टम को ऑपरेट कर रहा है. इस कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो ट्रक या ट्रैक्टर पर बालू ले जाते समय ओवरलोडिंग और चालान की जांच की जाती है. ऐसे में नियमों को तोड़कर अवैध तरीके से बालू ले जाने वाली गाड़ियों के बेरोकटोक परिवहन के लिए कथित तौर पर ठेके लिये जाने लगे हैं. बालू कहां ले जाना इस आधार पर रेट तय होता है.
प्रदेश के खनन माफिया अब सोशल मीडिया का भी कर रहे हैं इस्तेमाल
जगह के अनुसार तय होता है रेट : सूत्रों की मानें तो भोजपुर जिले के कोइलवर से यदि बिहार के अन्य जिलों में अवैध तरीके से बालू ले जाना हो, तो एक ट्रक वाले को करीब 2000 रुपये देने पड़ते हैं. इसके साथ ही दस हजार रुपये में पूरे महीने का ठेका भी लिया जाता है. वहीं, बिहार से पूर्वी यूपी ले जाने के लिए एक ट्रक से दस हजार रुपये तक लिये जाते हैं.
यदि कोई ट्रक वाला इनसे संपर्क किये बिना ही जा रहा होता है, तो हर चेकपोस्ट पार करने के लिए उसे 200 से 250 रुपये देने पड़ते हैं. यह महंगा पड़ता है. इसलिए इस कथित ठेकेदार से संपर्क करना गाड़ी वालों की मजबूरी होती है.
हर 20 किमी पर मिलती है सूचना : अवैध बालू ढोने के लिए जब इन कथित ठेकेदारों से डील फाइनल हो जाती है तो वे पैसे और गाड़ी नंबर ले लेते हैं. अपने व्हाट्सएप ग्रुप पर यह गाड़ी नंबर डाल देते हैं. इस ग्रुप से जुड़े संबंधित अधिकारी को भी यह नंबर मिल जाता है. बालू लेकर ट्रक जब खुलती है तो उसकी सूचना भी व्हाट्सएप ग्रुप पर रहती है. इस ट्रक को किसी भी चेकपोस्ट पर नहीं रोका जाता, हर जगह इसे पास मिलता रहता है. वैसे ड्राइवर की सुरक्षा के लिए अन्य उपाय भी किया गया है. हर 20 किमी पर उसे फोन पर आगे की जानकारी दी जाती है.
उससे बताया जाता है कि आगे सबकुछ क्लियर है या नहीं. रास्ते में चेकिंग के लिए अचानक कोई उड़नदस्ता टीम आ जाती है तो ड्राइवर को इसकी तुरंत सूचना दी जाती है और उसे गाड़ी रोककर आराम करने को कहा जाता है. इसके बाद उड़नदस्ता टीम के हटते ही फिर से ट्रक ड्राइवर को हरी झंडी दे दी जाती है.
क्या कहता है विभाग
खान एवं भूतत्व विभाग का कहना है कि बालू के अवैध खनन और ढुलाई को रोकने के लिए 15 मई, 2017 को प्रदेश के मुुख्य सचिव ने वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक ली थी. उन्होंने राज्य के सभी डीएम और एसपी को इससे संबंधित कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया था.
इसके बाद विभाग ने भी समय-समय पर प्रदेश के सभी डीएम और एसपी से इससे संबंधित कार्रवाई का निर्देश दिया था, लेकिन शिकायतें आती रहीं. 17 जुलाई को भी विभाग ने सभी डीएम और एसपी को कार्रवाई के लिए पत्र भेजा है.

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