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फर्जी सर्टिफिकेट पर ली थी नौकरी, तीन साल की सजा

पटना : सीबीआइ के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी प्रवीण कुमार सिंह की अदालत द्वारा फर्जी सर्टिफिकेट देकर भारत वैगन इंजीनियरिंग लिमिटेड पटना के जीएम फाइनेंस की नौकरी प्राप्त करने के मामले में रोहिणी दिल्ली निवासी लक्ष्मी नारायण घोष को तीन साल का सश्रम कारावास व 15 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी है. उक्त मामला सीबीआइ […]

पटना : सीबीआइ के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी प्रवीण कुमार सिंह की अदालत द्वारा फर्जी सर्टिफिकेट देकर भारत वैगन इंजीनियरिंग लिमिटेड पटना के जीएम फाइनेंस की नौकरी प्राप्त करने के मामले में रोहिणी दिल्ली निवासी लक्ष्मी नारायण घोष को तीन साल का सश्रम कारावास व 15 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी है.
उक्त मामला सीबीआइ ने 14 जनवरी, 2005 को दर्ज किया था. मामले की सुनवाई 12 साल तक चली. अनुसंधान के क्रम में सीबीआइ ने पाया कि भारत वैगन इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड पटना की कंपनी में जनरल मैनेजर फाइनेंस के पद के लिए चार्टर्ड एकाउंटेंट की डिग्री व अनुभव प्रमाणपत्र के आधार पर नियुक्ति होनी थी. अभियुक्त ने कंपनी में नौकरी प्राप्त की और कंपनी से एक साल तक वेतन भी उठाया. जांच के क्रम में पाया गया कि अभियुक्त न तो कभी सीए का सर्टिफिकेट प्राप्त किया था और न ही अनुभव प्राप्त किया था. उसने जाली प्रमाणपत्र के आधार पर अन्य अभियुक्तों के साथ षड्यंत्र कर नौकरी प्राप्त की थी.
अदालत में सीबीआइ ने 12 गवाहों को प्रस्तुत किया तथा विशेष मजिस्ट्रेट ने भादवि की धारा 420, 468 व 471 की धाराओं में दोषी पाते हुए तीन-तीन वर्ष का सश्रम कारावास व पांच-पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा दी. गौरतलब है कि विगत कई वर्षों से सीबीआइ मजिस्ट्रेट द्वारा किसी मामले का निर्णय नहीं किया जा रहा था, जबकि पटना में सीबीआइ के विशेष दो मजिस्ट्रेट का न्यायालय स्थापित है. लगभग दस वर्षों के बाद उक्त निर्णय आया है.

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