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बालू की मांग अधिक, सप्लाइ कम, अवैध खनन से भरपाई
पटना : बिहार के सोन नद से निकलने वाले बालू की मांग प्रदेश सहित पूरे पूर्वांचल में है. सारण जिले के डोरीगंज में भी सोन नद का लाल बालू आता है. इसकी मांग के मुकाबले वैध तरीके से खनन कर सप्लाइ नहीं हो पा रही. अवैध खनन से इसकी भरपाई की कोशिश हो रही है. […]
पटना : बिहार के सोन नद से निकलने वाले बालू की मांग प्रदेश सहित पूरे पूर्वांचल में है. सारण जिले के डोरीगंज में भी सोन नद का लाल बालू आता है. इसकी मांग के मुकाबले वैध तरीके से खनन कर सप्लाइ नहीं हो पा रही. अवैध खनन से इसकी भरपाई की कोशिश हो रही है.
नदी घाट पर ही एक ट्रक बालू की कीमत करीब 3600 रुपये है. प्रदेश के अन्य हिस्सों में इसे भेजने पर परिवहन लागत और विक्रेता का मुनाफा जोड़कर यह महंगी कीमत पर बेचा जाता है. इस कारण पटना जैसे शहर में एक ट्रक लाल बालू की कीमत करीब 6000 रुपये है.
डोरीगंज के रहने वाले विकास (परिवर्तित नाम) कहते हैं कि नये भवनों के निर्माण में लाल बालू की महत्वपूर्ण भूमिका है. भवन निर्माण की संख्या बढ़ने से इसकी मांग भी बढ़ी है. हर दिन करीब एक हजार ट्रक बालू की सप्लाइ यहां से होती है. सोन नद से बालू निकालकर उसे घाट तक लाने में समय लगता है. इसलिए ढुलाई के लिए ट्रक अपनी-अपनी बारी का घंटों इंतजार करते रहते हैं. इस कारण यहां ट्रकों की लाइन एनएच-19 तक लग जाती है.
प्रशासनिक लापरवाही फल-फूल रहा कारोबार
विकास कहते हैं कि बालू निकालने के लिए खनन विभाग का मानक तय है, लेकिन मांग अधिक होने और पैसे कमाने की होड़ में इसका ध्यान नहीं रखा जाता. बालू की कितनी खुदायी हो रही है या ट्रकों पर कितना ओवरलोडिंग है इसकी जांच भी नहीं होती. घाटों की बंदोबस्ती तो हो चुकी है. खनन विभाग की तरफ से सब कुछ वैध दिखता है, लेकिन इसकी आड़ में यहां यह कारोबार अवैध तरीके से फल-फूल रहा है.
घाट से नहीं मिलती कोई रसीद
बालू लेने आये एक ट्रक ड्राइवर रहीम (परिवर्तित नाम) ने बताया कि सात-आठ घंटे से लाइन में गाड़ी खड़ी है. अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. यहां ऐसा अकसर होता है. बालू लेकर बलिया जाना है. वहां एक ट्रक की कीमत करीब 25 हजार रुपये है. रास्ते में आेवरलोडिंग या अन्य तरह की चेकिंग नहीं होती? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राज्य का बॉर्डर पार करना पड़ता है, तो चेक पोस्ट मिलता है, लेकिन सबकुछ सेटिंग पर है. कोई परेशानी नहीं होती.
बालू लेने के लिए करते हैं घंटों इंतजार
नाव से बालू ढोने वाले एक मल्लाह जीतू (परिवर्तित नाम) ने बताया कि सोन नदसे निकला बालू वे अपनी नाव में भरकर गंगा पार करते हैं. इसे मेला घाट याडोरीगंज घाट लाते हैं. उन्होंने कहा कि इस काम में छोटी-बड़ी करीब 300 नाव लगी हैं. हर नाव को बालू लेने के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है. आज-कल 24 घंटे में उनकी बारी आती है. बालू उठाते समय कोई लिखा-पढ़ी नहीं होती.कोई रसीद नहीं मिलती. इसका कारण उन्होंने बताया कि बालू की कमी और मांग ज्यादा है. भरपाई नहीं हो रही. इसलिए तय मानक से अधिक बालू निकाले जा रहे हैं, जो अवैध है.
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