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राज्यपाल से मिलकर नीतीश ने कहा, सोनिया जी व लालू जी को अपनी फीलिंग बता दी है
पटना : राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किये जाने के बाद सोमवार को सबसे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनसे मिलने राजभवन गये. करीब 15 मिनट तक मुलाकात के बाद बाहर आये मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे बिहार के राज्यपाल देश के राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार हुए हैं. मेरे लिए यह […]
पटना : राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किये जाने के बाद सोमवार को सबसे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनसे मिलने राजभवन गये. करीब 15 मिनट तक मुलाकात के बाद बाहर आये मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे बिहार के राज्यपाल देश के राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार हुए हैं. मेरे लिए यह व्यक्तिगत रूप से प्रसन्नता की बात है. हालांकि, उन्हें जदयू का समर्थन देने के सवाल को वह टाल गये. उन्होंने कहा कि इन प्रश्नों का उत्तर देना अभी मुनासिब नहीं है.
उन्होंने बताया कि कोविंद के नाम की घोषणा के बाद राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद से मेरी बात हुई है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का भी फोन आया था. इस संबंध में मेरी जो फीलिंग है, उससे भी उन्हें अवगत करा दिया है, लेकिन उन सब चीजों पर आगे अभी बातचीत होगी.
इसके पहले मुख्यमंत्री ने शाम चार बजे राजभवन जाकर राज्यपाल रामनाथ कोविंद से शिष्टाचार मुलाकात की. राजभवन से लौटने के क्रम में मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति पद के घोषित उम्मीदवार हैं. हमारे बिहार के राज्यपाल के रूप में इन्होंने बेहतरीन कार्य किया है.
बहुत ही निष्पक्षता के साथ संविधान के अनुरूप उन्होंने कार्य किया है. उन्होंने अपने पद की गरिमा का हमेशा ख्याल रखा और राज्य सरकार के साथ एक आदर्श रूप में जो संबंध होना चाहिए, उस प्रकार का उन्होंने संबंध बनाया. इस बात को हम सब हमेशा याद रखेंगे. यह प्रसन्नता की बात है कि वे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार घोषित हुए हैं. उन्हें आज ही दिल्ली जाना था, इसलिए मेरा फर्ज बनता है कि मुख्यमंत्री के रूप में अपने राज्यपाल से मिलूं. चूंकि अब हमारे राज्यपाल तो राष्ट्रपति के उम्मीदवार हैं, इसलिए अपना सम्मान प्रकट करने के लिए उनसे मिला हूं.
विपक्ष की रणनीति : 22 को बैठक, मीरा कुमार के नाम की चर्चा
कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद ने कहा कि भाजपा ने इकतरफा फैसला लिया है. कोविंद की उम्मीदवारी पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि जब फैसला हो गया तो उसमें आम सहमति की गुंजाइश नहीं रही. विपक्ष 22 जून को बैठक कर राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के बारे में फैसला करेगा. सत्तारूढ़ दल को उम्मीदवार की घोषणा करने से पहले आम सहमति बनानी चाहिए.
22 जून की बैठक में नीतीश की मौजूदगी के सवाल पर आजाद ने बिहार के मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया है कि जदयू से कोई अवश्य मौजूद रहेगा. इधर, टीवी रिपोर्ट्स की मानें तो विपक्ष भी दलित कार्ड खेल सकता है. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को उम्मीदवार बना सकता है.
ममता का मिजाज : पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी ने कहा कि समर्थन देने से पहले कोविंद के बारे में जानना होगा. प्रणब मुखर्जी, आडवाणी, सुषमा स्वराज जैसे कद के किसी नेता को चुनना चाहिए था.
लालू के कदम : राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने कहा कि 22 जून को आगे की रणनीति पर निर्णय लिया जायेगा. कोविंद की उम्मीदवारी पर कुछ नहीं कहा. दलित होने के सवाल पर कहा कि देश में और भी कई दलित नेता हैं.
वाम का रुख : भाकपा महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने कहा कि कोविंद आरएसएस से जुड़े रहे हैं. ऐसे में निश्चित रूप से हम उम्मीदवार खड़ा करेंगे. वहीं, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि आरएसएस से जुड़े कोविंद को उम्मीदवारबनाना सीधे-सीधे टकराव की राजनीति है.
शिवसेना का तेवर तल्ख : शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस फैसले को राजनीति से प्रभावित बताया. उन्होंने कहा कि एक दलित को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाना सिर्फ वोट बैंक राजनीति का हिस्सा है. हालांकि शिवसेना प्रमुख ने कहा कि वह अपना आखिरी फैसला मंगलवार को बतायेंगे. शिवसेना के पास 25,893 वोट हैं.
एनडीए की बढ़ी ताकत : तीन राज्यों में सत्तारूढ़ दलों कोविंद को समर्थन दिया है. ये राज्य हैं ओड़िशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना. इस तरह कोविंद को टीडीपी, टीआरएस और बीजद का साथ मिल गया है. वहीं, पुडुचेरी में विपक्षी दल एआइएनआरसी ने भी समर्थन देने का एलान किया है.
कोई और नाम नहीं तो कबूल
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि कोविंद दलित हैं, इसलिए बसपा उनका समर्थन कर सकती है बशर्ते कि विपक्ष की तरफ से किसी लोकप्रिय दलित चेहरे के नाम का एलान न हो. मैंने अपनी भावना से अवगत भी कराया है. लेकिन इन सब चीजों पर आगे भी बातचीत होगी.
िकसका क्या रुख
लालू : 22 को बैठक में होगा अंतिम फैसला, देश में और भी हैं दलित नेता.
मायावती : कोई और लोकप्रिय दलित चेहरे का एलान न हो तो समर्थन.
ममता : कोिवंद को समर्थन देने से पहले उनके बारे में जानना होगा.
वाम दल : संघ से जुड़े कोिवंद को प्रत्याशी बनाना टकराव की राजनीति.
िशवसेना : एक दलित को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाना वोट बैंक की राजनीति.
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