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गरमी के चढ़ते ही सूख जायेंगे लोगों के हलक

537 करोड़ की योजना डेढ़ साल से है फाइलों में कैद चापाकल व पंप भी नहीं करने लगते हैं काम पटना : राजधानी में गरमी की तपिश जैसे-जैसे बढ़ेगी, वैसे-वैसे मुहल्ला स्तर पर जल संकट की समस्या गहराने लगेगी. इसकी मुख्य वजह गरमी के मौसम में जलस्तर का नीचे चला जाना है. इसकी वजह से […]

537 करोड़ की योजना डेढ़ साल से है फाइलों में कैद

चापाकल व पंप भी नहीं करने लगते हैं काम

पटना : राजधानी में गरमी की तपिश जैसे-जैसे बढ़ेगी, वैसे-वैसे मुहल्ला स्तर पर जल संकट की समस्या गहराने लगेगी. इसकी मुख्य वजह गरमी के मौसम में जलस्तर का नीचे चला जाना है. इसकी वजह से मोटर पंप हांफने लगते हैं. वे पर्याप्त मात्र में पानी नहीं फेंकते हैं. यह समस्या निगम क्षेत्र के 35-40 पंप हाउसों की है. इस समस्या को देखते हुए 537 करोड़ की जलापूर्ति योजना तैयार की गयी है, लेकिन डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी यह योजना फाइल में ही दबी हुई है. योजना को लेकर सरजमीं पर कुछ भी काम नहीं हुआ है.

इतना ही नहीं, निगम प्रशासन ने किसी भी पंप हाउस या जलापूर्ति का कोई का मेंटेनेंस नहीं किया है. ऐसे में इस गरमी में राजधानीवासियों को जल संकट से काफी जूझना पड़ेगा.

केवल बोरिंग से नहीं चलने वाला काम

जलापूर्ति योजना में हो रहे विलंब को देखते हुए निगम प्रशासन ने पिछले वर्ष निगम क्षेत्र में 31 स्थानों पर नयी बोरिंग लगाने का काम किया. हालांकि, इनमें आठ-दस बोरिंग चालू ही नहीं हुई. लेकिन, केवल बोरिंग ही समस्या का समाधान नहीं है. जल संकट को दूर करने के लिए 40 वर्ष पुरानी हो चुकी जलापूर्ति पाइप को दुरुस्त करना पड़ेगा. जलापूर्ति पाइप की लीकेज की समस्या को दूर करने के लिए कोलकाता से उपकरणों की खरीदारी की जानी थी, पर अब तक खरीदारी नहीं की गयी है. निगम अधिकारी की मानें तो पूरे निगम क्षेत्र में डेढ़ सौ से अधिक जगहों पर पाइप लाइन लीकेज है. इससे घरों में पहुंचने वाली सप्लाइ का पानी गंदा व बदबू देता है. इससे लोग बीमार पड़ जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में लोग चापाकल का सहारा लेते हैं या फिर मजबूरी में आरओ लगाना पड़ता है.

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