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सीरियस मरीजों का नहीं हो पाता है बेहतर उपचार
पटना सिटी : भवन, चिकित्सक व कर्मियों से लैस अगमकुआं में स्थित संक्रामक रोग अस्पताल में चिकित्सकीय संसाधन की कमी से इच्छाशक्ति रहने के बाद भी चिकित्सक व कर्मचारी मरीजों का बेहतर उपचार नहीं कर पाते हैं. हद तो यह है कि मरीजों को अस्पताल में दवा व इंजेक्शन मिल जा रहे हैं, लेकिन गंभीर […]
पटना सिटी : भवन, चिकित्सक व कर्मियों से लैस अगमकुआं में स्थित संक्रामक रोग अस्पताल में चिकित्सकीय संसाधन की कमी से इच्छाशक्ति रहने के बाद भी चिकित्सक व कर्मचारी मरीजों का बेहतर उपचार नहीं कर पाते हैं. हद तो यह है कि मरीजों को अस्पताल में दवा व इंजेक्शन मिल जा रहे हैं, लेकिन गंभीर स्थिति में आये मरीज का उपचार गहन चिकित्सा इकाई (आइसीयू ) नहीं रहने की स्थिति में बेहतर ढंग से नहीं हो पाता है. एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष 700 से अधिक मरीज उपचार को आते हैं.
50 शैयावाले अस्पताल में पांच वार्ड : अस्पताल कर्मियों ने बताया कि वर्ष 1952 में पटना सिटी अस्पताल वर्तमान का (श्री गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल ) में 50 शैयावाला संक्रामक अस्पताल अस्तित्व में आया. यहां से यह अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज चला गया. जहां इसके बेड की संख्या 150 हो गयी. वहां से 1972 में पुन: अगमकुआं में इस स्थान पर आया.
उस समय पीएमसीएच से डॉक्टर के यहां नहीं आने के अस्पताल का 100 बेड पीएमसीएच में ही रह गया और पुराने 50 बेड के साथ वापस लौटा, जो मौजूदा समय में भी पांच वार्डों में काम कर रहा है. अस्पताल के पांच वार्ड में टेटनेंस के लिए महिला व पुरुष का अलग-अलग वार्ड, डिपथेरिया के महिला-पुरुष वार्डों और रैबिज, चिकन पॉक्स के वार्ड हैं. अस्पताल में पांच चिकित्सक कार्यरत हैं. इनमें चार चिकित्सक प्रतिनियुक्ति पर यहां योगदान दे रहे हैं, जबकि एक स्थायी चिकित्सक हैं.
अस्पताल के अधीक्षक डॉ अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि मरीजों को अस्पताल में आइसीयू की सुविधा मिले, इसके लिए विभाग को लिखा गया है. साथ ही अस्पताल में सीसीटीवी कैमरा व वार्ड में एसी लगाने की भी योजना है ताकि मरीजों को सुविधा मिल सके. अस्पताल में आउटडोर की सुविधा मरीजों को नहीं दी जाती, बल्कि इंडोर में आये मरीजों का उपचार किया जाता है.
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