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बोले नीतीश: शराबबंदी में नहीं देंगे कोई ढील, की जायेगी और कड़ाई सामाजिक परिवर्तन के बिना नहीं सुधरेगी समाज की सेहत

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दहेज प्रथा, बाल विवाह, भ्रूण हत्या, शराब जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाने की फिर से वकालत की है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में शराबबंदी को और कड़ाई से लागू किया जायेगा. शनिवार को सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर स्थित ज्ञान भवन में आयोजित ‘पाटलिपुत्र राष्ट्रीय युवा संसद’ […]

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दहेज प्रथा, बाल विवाह, भ्रूण हत्या, शराब जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाने की फिर से वकालत की है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में शराबबंदी को और कड़ाई से लागू किया जायेगा. शनिवार को सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर स्थित ज्ञान भवन में आयोजित ‘पाटलिपुत्र राष्ट्रीय युवा संसद’ के उद्घाटन समारोह में उन्होंने कहा कि जब तक सामाजिक परिवर्तन नहीं आयेगा तक तक समाज की सेहत और संस्कार में सुधार नहीं हो सकता है.

सिर्फ आर्थिक परिवर्तन लाने से समाज की सेहत व संस्कार में सुधार नहीं लाया जा सकता है. इसके लिए सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अभियान चलाना होगा. उन्होंने कहा कि बिहार में कई राजनीतिक आंदोलन और राजनीतिक अभियान चले हैं, लेकिन समाज सुधार के लिए बहुत ज्यादा प्रयास नहीं हुआ है.

समाज सुधार की दिशा में लोगों का आकर्षण भी नहीं दिखा. युवाओं में भी यह नहीं दिखती है. सामाजिक मसले इतने जटिल हैं कि उसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है. लोगों का इन पर ध्यान भी कम पड़ रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं में सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अगर जागृति आ जाये, तो देश का भविष्य उज्ज्वल होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक मुद्दों को लेकर जिन कामों को बिहार में शुरू किया गया, उससे जो आत्मसंतोष हुआ है वह राज्य में सड़क बनाने से भी नहीं हुआ था.
पुलिस प्रशासन को निर्देश, नहीं बरते ढिलाई
पिछले दिनों महिलाओं से चैन छिनने की घटना पर मुख्यमंत्री ने पुलिस प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे किसी प्रकार की ढिलाई नहीं बरतें. उन्होंने कहा कि 2005 में जब सरकार बनी, तो उसी समय निर्देश दिया गया था सुबह चार बजे से पेट्रोलिंग होगी और इसी अनुसार ड्यूटी भी बांटी गयी थी. जब तक पुलिस प्रशासन सजग नहीं रहेगा, तब ऐसी घटनाएं सामने आती हैं. इसी तरह पुलिस शराब पीने वालों व कारोबार करने वालों पर भी कार्रवाई करे.
तीन दिनों तक चलेगा ‘पाटलिपुत्र राष्ट्रीय युवा संसद’
‘पाटलिपुत्र राष्ट्रीय युवा संसद’ तीन दिनों तक चलेगा. इसमें देश भर के 350 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. इसमें दो प्रतिनिधि बांग्लादेश व नेपाल के भी हैं. तीन दिनों के समारोह में दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, बाल विवाह, घरेलू हिंसा, जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अपनी बात रखेंगे. समारोह में आचार्य किशोर कुणाल, पाटलिपुत्र राष्ट्रीय युवा संसद के संस्थापक शायन कुणाल, अध्यक्ष अभिनव नारायण, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चन्द्रा, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा समेत अन्य मौजूद थे.
समाज में चारों तरफ हिंसा का वातावरण
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में चारों तरफ हिंसा का वातावरण है. समाज में इनटॉलरेंस है. लोग एक दूसरे को बरदाश्त नहीं कर रहे हैं. इससे छुटकारा मिल जाये, तो समाज सुधर जायेगा. देश में भ्रम फैलाने का माहौल चल रहा है. लोगों का दिमाग भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है. इससे युवाओं को सजग रहना होगा. कोई धर्म, मजहब या जाति का हो, सभी के बीच सद्भाव और आपसी प्रेम-भाईचारा बना रहे.
गांधी ने की थी सामाजिक अभियान की भी शुरुआत
नीतीश ने कहा कि चंपारण सत्याग्रह के जरिये महात्मा गांधी ने सिर्फ किसानों के हक के लिए लड़ाई नहीं लड़ी, बल्कि बिहार में स्वास्थ्य, शिक्षा व स्वच्छता को भी जागृत किया. उन्होंने भारत को आजादी दिलाने के साथ-साथ सामाजिक अभियान की भी शुरुआत की. शिक्षा की कमी को देखते हुए बुनियादी विद्यालय की स्थापना की और अपने जानने वालों को शिक्षा देने के लिए रखा. स्वास्थ्य व स्वच्छता पर भी विशेष जोर दिया.
शराब पीने का नहीं है मौलिक अधिकार
सीएम ने कहा कि किसी को खाने-पीने का मौलिक अधिकार हैै, लेकिन इससे शराब पीने को जोड़ना सही नहीं है. शराब पीना और शराब का कारोबार करना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है. बिहार में शराबबंदी है और लागू रहेगी. उन्होंने कहा कि शराबबंदी में और कड़ाई की जायेगी. सिर्फ कानून से शराबबंदी पूरी तरह सफल नहीं हो सकती है. इसके लिए जनचेतना जरूरी है. उन्होंने कहा कि शराबबंदी से पहले सरकार ने जनअभियान चलाया. 1.19 लाख लोगों ने शपथ पत्र दिया, तो नौ लाख जगहों पर नारा लेखन हुआ. इसके बाद 21 जनवरी, 2017 को शराबबंदी के पक्ष में मानव श्रृंखला बनी, जिसमें चार करोड़ लोगों ने इसका समर्थन किया. शराबबंदी के बाद अब नशामुक्ति की ओर समाज को ले जाने का काम हो रहा है. शराब छोड़ कहीं कोई दूसरी नशा के चक्कर में तो नहीं पड़ रहा है.
कोई बिहारी ही बने दिल्ली का मुख्यमंत्री
पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वह चाहते हैं कि दिल्ली का मुख्यमंत्री कोई बिहारी ही बने. उन्होंने कहा कि दिल्ली में रह रहे बिहार के लोग प्रवासी नहीं, निवासी हैं. यह अलग बात है कि दूसरी जगह बसने में कुछ कष्ट होता है. वहां बड़ी संख्या में बिहारी रह रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन की पुस्तक बिहारी मजदूरों की पीड़ा का लोकार्पण के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कनाडा में बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग रहते हैं. कनाडा का प्रधानमंत्री कोई सिख बनना चाहिए. मॉरीशस की कुल आबादी में 52 फीसदी बिहारी मूल के लोग हैं. उन्होंने कहा कि अब तो कई राज्यों से यह सुनने को मिलता है कि बिहार के लोग नहीं आ रहे हैं. बिहार का ग्रोथ बढ़ रहा है. इसमें बाहर में रहनेवाले लोग पैसा भेजते हैं वह शामिल नहीं हैं. बिहार के लोग विभिन्न कारणों से बाहर जाते हैं. कुछ सामाजिक प्रतिष्ठा के कारण यहां काम नहीं कर दूसरी जगहों पर काम के लिए जाते हैं. कुछ अधिक कमाई के कारण भी जाते हैं. देश के अंदर एक जगह से दूसरी जगह जाकर वहां रहनेवाले प्रवासी नहीं हैं.
सरकार चला रहीं कई योजनाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार व बिहार के बाहर रहनेवाले मजदूरों की सुविधा के लिए कई योजनाएं सरकार चला रही है. मजदूरों के कष्ट कम करने के लिए सरकार पहल कर रही है. मजदूरों का रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है. मजदूरों को साइकिल देने का काम हुआ. कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में काम करनेवाले मजदूरों के लिए कोष का गठन हुआ है. बिहार के बाहर किसी तरह की मजदूरों के साथ समस्या होने पर सरकार संवेदनशीलता के साथ लड़ने का काम करती है. कष्ट कम करने के लिए और स्कीम बनानी पड़ेगी, तो बनायेंगे. उन्होंने जगजीवन राम संसदीय शोध अध्ययन संस्थान के निदेशक से कहा कि गरीबी, मजदूरों की समस्याओं आदि पर अध्ययन करें.
बिहारियों में है क्षमता
उन्होंने कहा कि बिहारियों में इतनी क्षमता है कि जहां जॉब रहेगा, वहां जायेगा. अगर चांद पर रोजगार रहेगा, तो वहां भी लाइन लगा देगा. कहीं कोई गुंजाइश होगी, तो क्यों नहीं जायेगा. मौके पर आद्री के सदस्य सचिव शैवाल गुप्ता ने कहा कि माइग्रेंशन रोकने के लिए पब्लिक इंवेस्टमेंट जरूरी है. पुस्तक के लेखक अरविंद मोहन, राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान व अजय झा ने भी अपने विचार व्यक्त किये.
लोगों को बदलनी होगी अपनी मानसकिता
उद्घाटन समारोह में भ्रूण हत्या व शराब को लेकर नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति की गयी, जिसकी मुख्यमंत्री ने तारीफ की. उन्होंने कहा कि समाज में यही हो रहा है. बेटा पैदा होने पर लोेग खुशी मनाते हैं, बेटी पैदा होने पर नहीं. बिहार में शिशु मृत्यु दर में कमी आयी है. लड़कों की शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आयी है, लेकिन लड़कियों की शिशु मृत्यु दर में उतनी कमी नहीं आयी है. लोग बेटों के बीमार होने पर उनका तुरंत इलाज कराते हैं, लेकिन बेटियों की नहीं. लोगों की यह गलत मानसिकता है, इसे बदलना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि कुपोषण के कारण बिहार में नाटेपन की समस्या हो रही है. मां और बच्चे दोनों के कुपोषण इसकी मुख्य वजह है. बाल विवाह भी इसका एक कारण है. लड़की कम उम्र में गर्भ धारण करती है, तो मां और बच्चे दोनों कुपोषित होते हैं. बाल विवाह गैर कानूनी है. फिर भी यह हो रहा है. इसके लिए जागरूकता व सशक्त अभियान चलाने की जरूरत है.

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