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बाढ़ में सिविल सर्जनों को देनी होगी तीन प्रकार से रिपोर्ट

आपदा प्रबंधन के लिए तैयार की गयी गाइड लाइन पटना : स्वास्थ्य विभाग ने बाढ़ के पहले ही महामारियों की रोकथाम के लिए सभी जिलों को तैयारी करने का निर्देश दिया है. बारिश शुरू होने के बाद सभी जिलों से स्वास्थ्य विभाग ने भिन्न-भिन्न प्रकार से जिलों से रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है. पहला […]

आपदा प्रबंधन के लिए तैयार की गयी गाइड लाइन
पटना : स्वास्थ्य विभाग ने बाढ़ के पहले ही महामारियों की रोकथाम के लिए सभी जिलों को तैयारी करने का निर्देश दिया है. बारिश शुरू होने के बाद सभी जिलों से स्वास्थ्य विभाग ने भिन्न-भिन्न प्रकार से जिलों से रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है. पहला रिपोर्ट दैनिक प्रतिवेदन बाढ़ से संबंधित होगा.
इसमें बाढ़ से प्रभावित गावों की संख्या, बाढ़ से प्रभावित अस्पतालों की संख्या, प्रभावित आबादी की संख्या, राहत शिविरों की संख्या, रिलिफ कैंप में रहनेवाले लोगों की संख्या और कितने मेडिकल हेल्थ कैंप लगाये गये हैं उसकी जानकारी देनी है. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने जिलों से दूसरे परफार्मा में संक्रामक रोगों की रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. इस परफार्मा में प्रतिदिन डायरिया, गैस्ट्रोइनट्रेटाइटिस, कलरा, वायरल हेपेटाइटिस, बुखार, डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, चिकेनपॉक्स और सर्प दंश की रिपोर्ट भेजने को कहा गया है.
तीसरा परफार्मा में लक्षण आधारित बीमारियों की रिपोर्टिंग की जानी है. इसमें सात दिनों से कम वाले बुखार के मरीजों की संख्या, सात दिनों से होनेवाले बुखार जिसमें दाने के साथ बुखार की शिकायत हो, सात दिनों की बुखार जिसमें रक्तस्राव की शिकायत हो, सात दिनों की बुखार जिसमें अर्ध बेहोश या बेहोशी वाले मरीजों की संख्या हो, दो सप्ताह तक के खांसी या बिना खांसी वाले मरीजों की संख्या, दो सप्ताह से कम जिनको पतला शौच हो रहा हो, वजन कम होनेवाले मरीजों की संख्या, चार सप्ताह तक के जांडिस मरीजों की संख्या, 15 वर्ष तक की आयुवाले बच्चों में होनेवाले लकवा की शिकायत और अंत में उस प्रकार की होनेवाली मौत जिनके लक्षणों की जानकारी नहीं हो. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने कहा है कि बाढ़ और उससे होनेवाली जल जनित बीमारियों की समस्या से निबटारे के लिए जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में एक महामारी रोकथाम कमेटी का गठन कर लिया जाये.
यह कमेटी अपने स्तर से बाढ़ या जल जमाव से पैदा होनेवाली बीमारियों के संभावित क्षेत्रों में पूर्व के अनुभव के आधार पर त्वरित कार्यवाही करके निरोधात्मक कार्रवाई करेगी. सभी प्रकार के पेयजल स्रोतों की पहचान करने को कहा है. मच्छरों के प्रकोप की रोकथाम के लिए डीडीटी का छिड़काव कराने, जिला व प्रखंड स्तर पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सा दलों का गठन करने तथा बाढ़ के समय और उसके बाद कुत्ते और सियार काटने की घटनाएं होती है, इसकी भी तैयारी कर लने का निर्देश दिया है. उन्होंने सांप काटने से बचाने के लिए सभी अस्पतालों में एएस‌वीएस की दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहने पर जोर दिया है.
सिविल सर्जनों को कहा गया है कि नवजात शिशुओं की नियमित टीकाकरण में किसी तरह की बाधा नहीं होनी चाहिए. जिन क्षेत्रों में महामारी फैल जाये तो उस क्षेत्र के स्कूल और पंचायत भवन में भी अस्थायी अस्पताल खोला जा सकता है. यह अस्थायी अस्पताल तब तक चलता रहेगा जब तक कि महामारी खत्म नहीं हो जाये. इसके अलावा राज्य स्वास्थ्य समिति में राज्य नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है. इसका नंबर 104 है. इस दूरभाष पर कोई भी व्यक्ति बाढ़ के दौरान संपर्क स्थापित कर सकता है.

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