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घट रही खादी के तिरंगे की डिमांड

घट रही खादी के तिरंगे की डिमांड महादलित टोलों में झंडा फहराये जाने से खादी के झंडों की बिक्री में आयी थी तेजीपिछले वर्ष से प्रशासन की तरफ से खादी ग्रामोद्योग को नहीं मिल रहा झंडा बनाने का ऑर्डरढाई से तीन लाख रुपये के झंडों की होती थी बिक्रीसरकारी कार्यालयों तक ही सिमट कर रह […]

घट रही खादी के तिरंगे की डिमांड महादलित टोलों में झंडा फहराये जाने से खादी के झंडों की बिक्री में आयी थी तेजीपिछले वर्ष से प्रशासन की तरफ से खादी ग्रामोद्योग को नहीं मिल रहा झंडा बनाने का ऑर्डरढाई से तीन लाख रुपये के झंडों की होती थी बिक्रीसरकारी कार्यालयों तक ही सिमट कर रह गया खादी का तिरंगाफोटो-7प्रतिनिधि, नवादा (नगर)तिरंगा हमारे गौरव की शान है. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस व 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सभी सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में तिरंगा झंडा शान से फहराया जाता है. वर्ष 2012 से महादलित बस्तियों में भी झंडा फहराने की व्यवस्था शुरू की गयी है. शुरूआती दो वर्षों में झंडे की आपूर्ति ग्राम निर्माण मंडल, खादी ग्रामोद्योग समिति द्वारा किया जाता था. राष्ट्रीय उत्सव में खादी के बने तिरंगा झंडा गरीबों को उपलब्ध कराया गया. लेकिन, यह व्यवस्था पिछले वर्षों से समाप्त हो गयी है. खादी कपड़े के दुकानों में ढाई से तीन लाख रुपये के झंडे की बिक्री होती थी. इससे खादी ग्रामोद्योग से जुड़े लोगों को अच्छा लाभ मिल रहा था. सभी साइजों के झंडे की डिमांड 15 अगस्त व 26 जनवरी को विशेष रूप से होती है. इसके अलावा इन अवसरों पर गांधी टोपी की भी अच्छी डिमांड रहती थी. महादलित बस्तियों में झंडोत्तोलन की व्यवस्था शुरू होने से लोगों में देश के प्रति अभिमान का भाव जगता था. लेकिन, पिछले वर्षों से महादलित बस्तियों में झंडा फहराने के लिए खादी ग्रामोद्योग से झंडा की खरीदारी नहीं की जा रही है.कई साइजों में झंडा ग्राम निर्माण मंडल, खादी ग्रामोद्योग समिति के दुकानों पर मुख्य रूप से तीन साइज के झंडे उपलब्ध रहते हैं. सबसे अधिक डिमांड मीडियम साइज के झंडे की रहती है. दुकानों में 24 गुणे 36 इंच का, 36 गुणे 54 इंच का व बड़े कार्यालयों में लगाने के लिए 72 गुणे 48 इंच का झंडा उपलब्ध है. 24 गुणे 36 इंच के झंडे की कीमत 160 रुपये, 36 गुणे 54 इंच के झंडे की कीमत 225 रुपये व 72 गुणो 48 इंच झंडे की कीमत 350 रुपये प्रति पीस है. हाल के वर्षों में कई तरह के खादी के डुप्लीकेट झंडा बाजारों में मिलने के कारण खादी ग्रामोद्योग के झंडों की डिमांड घट रही है. वर्ष 2012 के बाद ढाई से तीन हजार तिरंगा झंडा जिले में आसानी से बिक जाता था. लेकिन, पिछले वर्षों से यह घट कर पांच सौ से छह सौ पीस रह गया है. कई जगह खादी ग्रामोद्योग की दुकानेंजिला मुख्यालय में सदर अस्पताल के सामने के दुकान के अलावा प्रसाद बिगहा, हिसुआ, नारदीगंज, वारिसलीगंज, पकरीबरावां, काशीचक, सोखोदेवरा, रूपौ व लाल बिगहा में खादी का बिक्री केंद्र है. इन सभी स्थानों के दुकानों में तिरंगा झंडा पर्याप्त मात्र में उपलब्ध है. बावजूद खरीदारों की स्थिति अच्छी नहीं दिख रही है. गांधी टोपी का भी खास महत्वझंडोत्तोलन के समय पहनने के लिए खादी के टोपी का विशेष महत्व है. गांधी टोपी के नाम से मसूरी या टोपी कॉटन या सिल्क में उपलब्ध है. कॉटन की टोपी 40 रुपये प्रति पीस व सिल्क की टोपी सौ रुपये प्रति पीस के हिसाब से दुकानों में मिल रही है. सामान्यत: डेढ़ से दो हजार गांधी टोपी की बिक्री हो पा रही है. हालांकि, टोपी की डिमांड तिरंगे झंडे से टोपी की डिमांड अधिक है बावजूद पहले के बिक्री में कमी आयी है. कई लोग इस अवसर पर नया कुर्ता, पायजामा व बंडी भी तैयार करवाते है. जिसे पहन कर झंडोत्तोलन में भाग लेते हैं.हाल के वर्षों में घटी डिमांड पिछले वर्ष से खादी के झंडे की डिमांड घटी है. महादलित बस्तियों में झंडा फहराये जाने से झंडा की बिक्री बढ़ी थी. लेकि, पिछले वर्ष से खरीदारी में कमी आयी है. खादी का तिरंगा झंडा का विशेष महत्व है. खास कर सरकारी कार्यालयों में खादी का झंडा फहराया जाता है. समाहरणालय, कोर्ट, थाना, जेल जैसे बड़े कार्यालयों में खादी का बड़ा तिरंगा फहराया जाता है. जय नारायण प्रसाद जायसवाल, व्यवस्थापक, खादी ग्रामोद्योग समितिजिले के 10 बिक्री केंद्रों के माध्यम से खादी झंडे की बिक्री की जाती है. खास कर मीडियम साइज की झंडे की डिमांड अधिक रहती है. बिक्री में कमी आने के कारण कारोबार प्रभावित होता है. प्रशासन को इसे बढ़ावा देने के लिए कार्य करना चाहिए. शिव कुमार महतो, सहायक, व्यवस्थापक, खादी ग्रामोद्योग समितिमहादलित बस्तियों में तिरंगा झंडा फहराने के लिए सरकार की ओर से कोई राशि आवंटित नहीं की जाती है. लोग अपने स्तर से गली मुहल्ले में इसके लिए व्यवस्था करते हैं. पहले सरकार से राशि उपलब्ध करायी गयी थी. खादी का झंडा की खरीदारी इसके बाद सामूहिक रूप नहीं किया जा रहा है. मनोज कुमार, डीएम

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