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निगेटिव ग्रुप का ब्लड नहीं

नवादा कार्यालय : जिले में होने वाले सड़क हादसों के बाद अधिकतर मामलों में खून की कमी के कारण घायलों की मौत हो जाती है. यह स्थिति जिले में ब्लड डोनेट करने वाले लोगों की संख्या में आयी कमी के कारण उत्पन्न हुई है. हालत यह है कि जिले में निगेटिव ग्रुप का ब्लड मिलना […]

नवादा कार्यालय : जिले में होने वाले सड़क हादसों के बाद अधिकतर मामलों में खून की कमी के कारण घायलों की मौत हो जाती है. यह स्थिति जिले में ब्लड डोनेट करने वाले लोगों की संख्या में आयी कमी के कारण उत्पन्न हुई है. हालत यह है कि जिले में निगेटिव ग्रुप का ब्लड मिलना काफी मुश्किल हो गया है.

विपरित परिस्थितियों में खून की कमी को दूर करने के लिए सरकार की ओर से सदर अस्पताल परिसर में ब्लड बैंक की स्थापना की गयी थी. स्थापना काल से ही यहां का ब्लड बैंक अव्यवस्था का शिकार बन गया.

हाल के दिनों में ब्लड बैंक में ब्लड के रखरखाव के लिए कई नयी तकनीक के उपकरण उपलब्ध कराये गये है. बावजूद यहां ब्लड मिलना मुश्किल है. ब्लड बैंक में सभी उपकरण होने के बाद भी मात्र 19 यूनिट ब्लड ही इन दिनों उपलब्ध है. यह भी प्राय: पॉजिटिव ग्रुप के है.
सड़क हादसे या प्रसव के दौरान मरीजों को निगेटिव ब्लड की आवश्यकता पड़ने पर उसे पड़ोसी जिले यथा गया, नालंदा से लाने की सलाह दी जाती है. इन जिलों में ब्लड उपलब्ध नहीं रहने पर मरीजों को सीधे पटना रेफर कर दिया जाता है. ऐसी परिस्थिति में मरीजों का जान बचना मुश्किल हो जाता है.
सदर अस्पताल अस्पताल में कार्यरत चार कर्मचारी सेवा के लिए 24 घंटे शिफ्ट वाइज मौजूद रहते है. परंतु, ब्लड की कमी से कर्मचारी भी कोई सहयोग करने से पीछे हट जाते हैं. सरकारी ब्लड बैंक के लैब टेक्नीशियन उमेश कुमार वर्मा बताते हैं कि ब्लड के बेहतर रहने की अवधि मात्र 35 दिन है.
इस दौरान ब्लड का इस्तेमाल उपयोग नहीं होने पर वह बेकार हो जाता है. ब्लड बैंक में कुछ वैसे लोगों की सूची रखी जाती है, जो जरूरत पड़ने पर खुद आकर ब्लड डोनेट कर सके.

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