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लगा रहे कार्यालय का चक्कर
नवादा (नगर) : बिजली विभाग की मनमानी के कारण उपभोक्ताओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पिछले कई महीनों से मीटर रीडिंग नहीं होने के बावजूद अनाप-शनाप बिल आने की शिकायत मिल रही है. बिजली विभाग द्वारा शहरी क्षेत्रों के बिलों के निर्माण का काम रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को दिया गया है. कंपनी […]
नवादा (नगर) : बिजली विभाग की मनमानी के कारण उपभोक्ताओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पिछले कई महीनों से मीटर रीडिंग नहीं होने के बावजूद अनाप-शनाप बिल आने की शिकायत मिल रही है. बिजली विभाग द्वारा शहरी क्षेत्रों के बिलों के निर्माण का काम रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को दिया गया है.
कंपनी द्वारा तैयार सॉफ्टवेयर में मीटर रीडर द्वारा रीडिंग किये गये आंकड़ों के अनुसार ही बिल तैयार किया जाना है़ लेकिन, मीटर रीडरों द्वारा घरों में रीडिंग करने के लिए नहीं जाया जाता और मनमाने तरीके से आंकड़े भर कर उपभोक्ताओं को परेशान किया जा रहा है. विभाग में प्रतिदिन सैकड़ों ऐसे शिकायतें आ रही है, जिसमें अधिक आंकड़े दिखा कर नया बिल आने, जमा किये गये बिल का समायोजन नहीं होने, घरों में मीटर रीडिंग के लिए नहीं आने, बिजली बिल नहीं पहुंचने, विलंब से बिल मिलने सहित कई प्रकार की समस्याओं का सामना उपभोक्ताओं को करना पड़ रहा है. बिजली उपलब्धता में सुधार होने के बाद उपभोक्ता नियमानुसार बिल का भुगतान करते दिखाई देते है, लेकिन विभाग द्वारा किये जा रहे गड़बड़ी के कारण उपभोक्ताओं द्वारा समय से बिल जमा नहीं हो पाता है तथा गड़बड़ बिल के चक्कर में पड़ कर सुधरवाने के लिए कार्यालय का चक्कर काटने को मजबूर होते है.
गड़बड़ी सुधरवाने में दिक्कत
बिजली बिल में गड़बड़ी तो विभाग द्वारा किया जाता है, लेकिन इसे सुधरवाने में उपभोक्ताओं के पसीने छूट जाते है. दर्जनों बार कार्यालय का चक्कर लगाने के बाद भी गड़बड़ी में सुधार नहीं होता है. महीनों से बिल सुधार के लिए चक्कर लगा रहे उपभोक्ताओं ने कहा कि अधिकारियों को कई बार आवेदन दिये हैं, लेकिन सुधार की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि कई बार कार्यालय में आने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ है. अधिकारी एक दूसरे पर टाल कर पल्ला झाड़ लेते है. मीटर रीडर या कंप्यूटर की गड़बड़ी का खामियाजा नगर के हजारों उपभोक्ता झेल रहे है.
एवरेज रीडिंग से उपभोक्ता बेहाल
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के नये सॉफ्टवेयर के सिस्टम के कारण भी उपभोक्ता बेहाल हैं. बिल बनने के समय यदि मीटर रीडर द्वारा पठन नहीं दिया जाता है तो सिस्टम अपने आप पुराने रिकॉड के अनुसार एवरेज बिल निकाल देती है. सामान्यत: पहले एक केबीए के डोमेस्टिक कनेक्शन में 40 यूनिट का एवरेज बिल आता था. लेकिन, नये सॉफ्टवेयर के कारण अब उपभोक्तओं के पास 90 से सौ यूनिट का एवरेज बिल मिल रहा है. इस कारण उपभोक्ताओं को अतिरिक्त पैसे देने पड़ रहे है. इस प्रकार की शिकायत करने वाले उपभोक्ताओं की सबसे अधिक संख्या बिजली विभाग के कार्यालय में रहता है.
तीन काउंटर कर रहे काम
विभाग के कार्यालय में बिल जमा करने के लिए काउंटरों की कमी है. तीन काउंटर के माध्यम से बिल के रुपये जमा लिये जाते हैं. इन काउंटरों पर सुबह से दोपहर दो बजे तक भीड़ की लंबी कतारें लगी रहती है. बावजूद रुपये जमा नहीं हो पाते. विभाग द्वारा उपलब्ध ऑन लाइन व डाकघर के माध्यम से बिजली बिल जमा करने की सुविधा तो है, लेकिन इन माध्यमों से बिजली बिल जमा करने के बाद अक्सर जमा राशि एडजस्ट नहीं होने के कारण राशि वापस खाते में लौट जाती है.
शहर के अन्य स्थानों पर भी बिजली बिल जमा करने के अस्थायी स्टॉल लगाये जाते है लेकिन यहां भी कर्मियों की मनमानी चलती है.
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