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झारखंड से बंगाल तक लच्छा-सेवई की काफी डिमांड

।। विशाल/मधुकर ।। ईद की खुशियां बढ़ाने के लिए जिले के कारीगर हाथ से लच्छा बनाने में जुटे नवादा : ईद की खुशियों में सेवई न हो, ऐसा हो नहीं सकता. ईद को मीठी सेवई का त्योहार भी कहा जाता है. जिले के कारीगर हाथ से लच्छा–सेवई बनाने में जी जान से जुट गये हैं. […]

।। विशाल/मधुकर ।।

ईद की खुशियां बढ़ाने के लिए जिले के कारीगर हाथ से लच्छा बनाने में जुटे

नवादा : ईद की खुशियों में सेवई हो, ऐसा हो नहीं सकता. ईद को मीठी सेवई का त्योहार भी कहा जाता है. जिले के कारीगर हाथ से लच्छासेवई बनाने में जी जान से जुट गये हैं.

मशीन लच्छा विभिन्न नामी कंपनियों की सेवई के बीच हाथ लच्छा सेवई की डिमांड काफी है. कारीगरों के सधे हाथों का कमाल है कि नवादा में निर्मित लच्छासेवई राज्य के विभिन्न जिलों के अलावा झारखंड पश्चिमी बंगाल तक सप्लाइ की जाती है. लच्छा निर्माण में सबसे खास बात यह है कि इसको बनाने में हिंदूमुसलिम कारीगर मिल कर काम करते हैं.

फौजी फूड कंपनी में लच्छा निर्माण में जुटे मुख्य कारीगर अनिल चौधरी ने बताया कि पकरीबरावां के ज्यूरी गांव से 16 कारीगर यहां काम कर रहे हैं. वर्ष में दो बार ईद बकरीद के समय हाथ लच्छासेवई का निर्माण किया जाता है. यदि सरकार इस उद्योग को बढ़ावा दे, तो कारीगरों को वर्ष भर काम मिल सकता है.

वर्ष में 40 से 50 दिनों का काम मिलता है. शेष दिन मजदूरी या अन्य घरेलू काम में लगते हैं. फौजी फूड प्रोडक्टस के संचालक मोहम्मद सज्जाद अहमद ने बताया कि प्रतिदिन लगभग पांच क्विंटल लच्छासेवई का उत्पादन होता है. इसकी डिमांड कोलकाता, कोडरमा, गिरिडीह, बरही आदि में भी काफी है.

लच्छा व्हाइट, कलर ब्राउन तीन वेराइटी में उत्पादन होता है. यहां की लच्छे की सबसे खास बात यह है कि यह काफी हल्का एवं मशीन लच्छा से बेहतर होती है. नवादा के कारीगर देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर हाथ लच्छा बनाते हैं. इसके अलावा देश में किसी भी जगह हाथ लच्छा नहीं बनता है.

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