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तीसरी से पांचवीं तक करा दिया विज्ञान का मूल्यांकन

मुजफ्फरपुर : सरकारी प्राइमरी स्कूलों में विज्ञान की पढ़ाई छठवीं से आठवीं तक होती है, पहली से पांचवीं कक्षा तक नहीं. हैरान करनेवाली बात है कि मीनापुर व कुढ़नी प्रखंड से तैयार की गयी वार्षिक मूल्यांकन की रिपोर्ट में तीसरी से पांचवीं कक्षा में भी विज्ञान वर्ग में बच्चों की उपस्थिति के साथ रिजल्ट तैयार […]

मुजफ्फरपुर : सरकारी प्राइमरी स्कूलों में विज्ञान की पढ़ाई छठवीं से आठवीं तक होती है, पहली से पांचवीं कक्षा तक नहीं. हैरान करनेवाली बात है कि मीनापुर व कुढ़नी प्रखंड से तैयार की गयी वार्षिक मूल्यांकन की रिपोर्ट में तीसरी से पांचवीं कक्षा में भी विज्ञान वर्ग में बच्चों की उपस्थिति के साथ रिजल्ट तैयार किया गया है. मीनापुर प्रखंड से जिला कार्यालय को भेजने के लिए जो रिपोर्ट तैयार की गयी है, उसमें कक्षा तीन में हिंदी में 8575 व उर्दू में 722, कक्षा चार में हिंदी में 9071 व उर्दू में 703 तथा कक्षा पांच में हिंदी में 8570 व उर्दू में 735 बच्चों की उपस्थिति बतायी गयी है.

वहीं कुढ़नी प्रखंड में कक्षा तीन में 730, कक्षा चार में 853 व कक्षा पांच में 736 बच्चों की उपस्थिति विज्ञान वर्ग में दिखायी गयी है. इसी तरह मुरौल प्रखंड से भी मनमाने तरीके से रिपोर्ट तैयार की गयी है. यहां कक्षा तीन के राजभाषा में 58 बच्चों की उपस्थिति मूल्यांकन में दिखायी गयी है, जबकि 60 बच्चों को रिजल्ट दे दिया गया.

अलग-अलग तैयार करना है फॉरमेट

वार्षिक मूल्यांकन के लिए अलग-अलग फॉरमेट तैयार किया गया है, जिस पर प्रखंडवार रिपोर्ट देनी है. प्रपत्र एक में मूल्यांकन के समय की उपस्थिति कक्षावार बतानी है. वहीं प्रपत्र दो में ग्रेडवार रिजल्ट देना है. दोनों रिपोर्ट बीइओ को देनी है. इसके लिए बार-बार निर्देश भी दिया गया, लेकिन कई सरकार व विभाग की प्राथमिकता के बावजूद कई प्रखंडों से लापरवाही सामने आ रही है. बताते हैं कि जिला कार्यालय से रिपोर्ट देने के लिए जब दबाव बनाया जाने लगा तो कुछ प्रखंडों से मनमानी तरीके से फॉरमेट तैयार कर भेज दिया गया. हालांकि अभी विभागीय स्तर पर सरसरी तौर पर की जांच में ही यह मामला सामने आ गया, जबकि संभावना जतायी जा रही है कि बारीकी से रिपोर्ट की जांच हुई तो और भी लापरवाही उजागर हो सकती है.

यही हाल रहा, तो कैसे सुधरेगी शिक्षा की गुणवत्ता

प्रारंभिक स्कूलों में शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने के लिए मूल्यांकन सिस्टम शुरू किया गया है. कक्षा एक से आठ तक के बच्चों का आठ मासिक मूल्यांकन के साथ ही एक अर्द्धवार्षिक व एक वार्षिक मूल्यांकन करना है. रिजल्ट के आधार पर बच्चों की ग्रेडिंग की जानी है. रिपोर्ट की समीक्षा स्कूल से लेकर राज्य स्तर तक होनी है. खराब ग्रेडिंग वाले बच्चों को चिह्नित कर उनका शैक्षणिक स्तर सुधारने के लिए एक्स्ट्रा क्लास भी चलाना है. ऐसे में जब मूल्यांकन की रिपोर्ट ही गलत होगी, तो गुणवत्ता सुधारने का प्रयास किस तरह किया जा सकेगा. साथ ही बिना किसी आधार के रिपोर्ट तैयार करने का मामला सामने आने के बाद मूल्यांकन को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों की गंभीरता भी संदेह के घेरे में आ गयी है.

सभी प्रखंडों से वार्षिक मूल्यांकन की रिपोर्ट जुटायी जा रही है. उसकी समीक्षा की जायगी. कुछ प्रखंडों से गलत रिपोर्ट मिली थी, जिसमें सुधार कर लिया गया है. मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने का प्रयास किया जा रहा है.

मो असगर अली, डीपीओ प्रारंभिक शिक्षा व सर्वशिक्षा अभियान

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