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एसकेएमसीएच में मरीजों को रेफर करने का खेल

कमीशन के चक्कर में सामान्य मरीज भी किये जा रहे हैं रेफर एंबुलेंस चालक परिजनों को विश्वास में लेकर डॉक्टर से कराते हैं रेफर हर दिन पांच से सात, तीन महीने में 420 मरीज भेजे गये हैं पटना मुजफ्फरपुर : मरीजों के रेफर का खेल एसकेएमसीएच में धड़ल्ले से चल रहा है. यहां पर कमीशन […]

कमीशन के चक्कर में सामान्य मरीज भी किये जा रहे हैं रेफर

एंबुलेंस चालक परिजनों को विश्वास में लेकर डॉक्टर से कराते हैं रेफर
हर दिन पांच से सात, तीन महीने में 420 मरीज भेजे गये हैं पटना
मुजफ्फरपुर : मरीजों के रेफर का खेल एसकेएमसीएच में धड़ल्ले से चल रहा है. यहां पर कमीशन के चक्कर में सामान्य मरीजों को भी एंबुलेंस चालक के कहने पर पटना के लिए रेफर कर दिया जाता है. यह हम नहीं बल्कि रेफर केस के आंकड़े बताते हैं. महज तीन माह के अंदर यहां से करीब 420 मरीजों को रेफर किया जा चुका. प्रतिदिन पांच से सात मरीजों को पटना के लिए रेफर किया जाता है. इन्हें प्राइवेट एंबुलेंस से पटना ले जाया जाता है और इस खेल में चालक समेत डॉक्टरों की मिलीभगत से अच्छीखासी कमीशनखोरी होती है. इस कारण मरीजों के तिमारदारों की जेब इलाज से पहले ही ढीली हो जाती है.
एसकेएमसीएच की स्थिति यह है कि सुविधा के नाम पर खानापूर्ति ही दिखायी देती है. अल्ट्रासाउड, आइसीयू वार्ड, बर्न वार्ड, एक्सरे और आकस्मिक रूम की स्थिति को देखने से ही इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
रेफर के चक्कर में मरीज के परिजन से होती है नोकझोंक
एसकेएमसीएच में आनेवाले मरीजों के परिजन व डॉक्टरों में अक्सर रेफर को लेकर मारपीट व नोकझोंक होती है. इसमें एंबुलेंस के मालिक के लोगों की अहम भूमिका होती है. ये लोग मरीज के परिजन को रेफर करा ले जाने के लिए विश्वास में ले लेते हैं और डॉक्टरों से कह उसे पटना के लिए रेफर करा देते हैं. इस चक्कर में सामान्य मरीजों को भी धड़ल्ले से पटना के लिए रेफर किया जाता है. पटना जाने के बाद एंबुलेंस चालक उन्हीं अस्पतालों में मरीजों का दाखिला कराते हैं, जहां से अच्छीखासी रकम मिलती है.
2000 से 2500 रुपये लिया जाता पटना का किराया : रेफर किये गये मरीजों को एंबुलेंस चालक दो हजार से ढाई हजार रुपये में पटना ले जाते हैं. एंबुलेंस चालक इस दौरान रास्ते भर मरीज के परिजन को पीएमसीएच में इलाज कराने पर मरीज की जान खतरे में पड़ जायेगी, की बात कह उसे वह कम खर्च में प्राइवेट अस्पताल में भरती करा देने का विश्वास दिलाते हैं. परिजन के विश्वास में आते ही मरीज को उस प्राइवेट अस्पताल में भरती करा देते है, जहां कमीशन का खेल होता है.
रास्ते में मरीज को विश्वास में लेकर ले जाते प्राइवेट अस्पताल में
पांच अप्रैल को रुन्नीसैदपुर से मो नमाउद्दीन सड़क दुर्घटना में घायल होकर एसकेएमसीएच में भरती हुए थे. उसकी रीड की हड्डी में दर्द की शिकायत थी. उसका रेफर पटना के पीएमसीएच में कर दिया गया. इसके बाद एंबुलेंस से उसे लेकर पटना पीएमसीएच उसके परिजन चले. लेकिन गांधी सेतु आते-आते परिजनों को एंबुलेंस चालक ने अपने विश्वास में ले लिया और पटना बाइपास के पास एक निजी अस्पताल में भरती करा दिया.
20 मार्च को मोतीपुर की रहने वाली साजिया खातून खाना बनाने के क्रम में जल गयी थी. उसे इलाज के लिए एसकेएमसीएच में भरती कराया गया था. उसकी हालत में सुधार भी हो रहा था, लेकिन उसके परिजन को एंबुलेंस चालक ने विश्वास में लेकर उसका रेफर पटना करवा दिया. इसके बाद उसे लेकर एंबुलेंस चालक पटना पीएमसीएच के लिए चला और रास्ते में ही विश्वास में लेकर कंकड़बाग स्थित एक हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया.
अबतक किसी भी मरीज की ओर से शिकायत नहीं आयी है. अगर एंबुलेंस चालक के कहने पर मरीज किसी अस्पताल में जाता है, तो हम कुछ नहीं कर सकते हैं. यहां से मरीजों को पीएमसीएच ही रेफर किया जाता है. एसकेएमसीएच परिसर से प्राइवेट एंबुलेंस को हटाने के लिए दर्जनों बार जिला प्रशासन व सरकार को पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन अबतक कोई पहल नहीं हुई है.
डॉ जीके ठाकुर, अधीक्षक एसकेएमसीएच
Prabhat Khabar Digital Desk
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