मुजफ्फरपुर: एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एइएस) के कारणों की पहचान के लिए अटलांटा के सेंटर फॉर कंट्रोल डिजीज के विशेषज्ञ अब जिले के वातावरण व टॉक्सिन का अध्ययन करेंगे. वैज्ञानिकों ने पिछले दो वर्षो में किये गये अध्ययन के सकारात्मक परिणाम मिलने पर यह निर्णय लिया है. दिल्ली व अटलांटा के वैज्ञानिकों को पिछले दो वर्षो की जांच में कुछ उपयोगी तथ्य मिले हैं.
हालांकि विशेषज्ञों ने इस रिसर्च में अब तक के परिणाम को गुप्त रखा है, लेकिन एनसीडीसी (पटना) के उप निदेशक डॉ राम सिंह के इमेल पर भेजे पत्र में उपयोगी परिणाम मिलने की बात कही है. विशेषज्ञों को विश्वास है कि वे वातावरण व टॉक्सिन पर रिसर्च कर एइएस के कारणों की पहचान करेंगे. रिसर्च की दिशा मिलने पर पहली बार देश व विदेश के आधा दर्जन विशेषज्ञ मुजफ्फरपुर आकर नया रिसर्च शुरू करेंगे.
विशेषज्ञों की संयुक्त टीम 12 से करेगी अध्ययन
रिसर्च के लिए शहर में 12 मार्च को टीम पहुंच रही है. पहले चरण में ये स्वास्थ्य अधिकारियों, शिशु रोग विशेषज्ञों, सिविल सजर्न व एसेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष के साथ बैठक करेगी. जिसमें लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक, पशुपालन अधिकारी व पीएचइडी के अधिकारी भी शामिल होंगे. विशेषज्ञ वातावरण के साथ विभिन्न टॉक्सिन के स्नेत के बारे में पूरी जानकारी लेंगे. टीम एसकेएमसीएच व केजरीवाल मातृसदन जाकर वहां बच्चों का बीएसटी भी देखेगी. आवश्यक जानकारी व दिशा निर्देश देकर टीम 13 को यहां से लौट जायेगी.
संयुक्त टीम में शामिल रहेंगे विशेषज्ञ
संयुक्त टीम में महामारी से लेकर टॉक्सिन विशेषज्ञ तक को शामिल किया गया है. जिसमें सीडीसी अटलांटा के वैज्ञानिक सबसे अधिक हैं. टीम में नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के डॉ अनिल कुमार, डॉ आकश श्रीवास्तव, सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (यूएसए) के डॉ पद्मिनी श्रीकांतिया, सीडीसी (अटलांटा) के महामारी विशेषज्ञ डॉ जेम्स सेजवार, सीडीसी (अटलांटा) के न्यूरो महामारी विशेषज्ञ डॉ मेलिसा हालिडे, सीडीसी (अटलांटा) की टॉक्सोलॉजिस्ट डॉ एकता शामिल होंगी.