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मम्मी कचरावाला बॉस्केट लाओ, अंकल आये हैं

मुजफ्फरपुर : मम्मी कचरा वाला बॉस्केट लाओ, अंकल आये हैं. सिटी की आवाज सुनते ही पांच साल का अंशु यह कहते हुए घर के अंदर जाता है. कुछ ही देर में मां के साथ हरा व नीला बॉस्केट लेकर कचरा वाहन के पास पहुंच जाता है. कचरा कलेक्टर को बॉस्केट थमाते हुए बोलता है, अंकल […]

मुजफ्फरपुर : मम्मी कचरा वाला बॉस्केट लाओ, अंकल आये हैं. सिटी की आवाज सुनते ही पांच साल का अंशु यह कहते हुए घर के अंदर जाता है. कुछ ही देर में मां के साथ हरा व नीला बॉस्केट लेकर कचरा वाहन के पास पहुंच जाता है. कचरा कलेक्टर को बॉस्केट थमाते हुए बोलता है, अंकल यह गीला वाला है. कचरा डालने के बाद सिटी बजाते हुए वाहन चालक आगे की ओर बढ़ जाता है.
कुछ दूरी पर दो तीन महिलाएं खड़ी हैं. सभी के हाथ में कचरावाला बॉस्केट है. एक-एक कर सभी वाहन में कूड़ा डालने लगती हैं. हम किसी महानगर की बात नहीं कर रहे हैं, यह सब अपने शहर में हो रहा है. क्लीन व ग्रीन सिटी बनाने की पहल रंग लाने लगी है.
शहर की पुलिस लाइन के बगल वाले मुहल्ले (वार्ड एक) में सीएसइ व आइटीसी के वोलेंटियर निगम के कचरा वाहन के साथ सुबह आठ बजे से कचरा जमा करने में जुटे हैं. जिस घर से कचरा डालने के लिए लोग नहीं निकलते हैं, उन्हें वोलेटिंयर कचरा प्रबंधन के बारे में बताते हैं. उनके गेट पर एक स्टीकर लगा कर कूड़ा जमा करने का आग्रह करते हैं.
मौके पर मौजूद सीएसइ के प्रोग्राम मैनेजर स्वाति सिंह सांब्याल व आइटीसी के मैनेजर देवाशीष नायक बताते हैं कि लोगों का काफी रिस्पांस मिल रहा है. कचरा कलेक्ट करने की शुरुआत बीते छह फरवरी से इसी वार्ड से हुई है.
दो तीन दिन तक कुछ परेशानी हुई, लेकिन अब लोग जागरूक हो गये हैं. खास कर बच्चों में काफी उत्साह है. स्वाति सिंह बताती हैं कि हम लोगों में आदत डाल रहे हैं कि कचरा को इधर-उधर फेंकना नहीं है, जमा करना है. हमारी संस्था बंगलोर व तामिलनाडु व तेलगांना में कचरा प्रबंधन कर क्लीन सिटी बनाने में सफल रही है. मुहल्ला के गौतम आजाद, जयशंकर प्रसाद व रेखा सिंह कचरा उठाने के के इस नये तरीके से काफी खुश है. इनका कहना है कि जब से कचरा उठने लगा है, घर के साथ मुहल्ला की सफाई हो रही है. पहले लोग सड़क किनारे या खाली स्थान पर कचरा डालते थे. लेकिन अब हर घर में बॉस्केट में कचरा जमा हो रहा है.
कचरा उठाव के लिए 35 सदस्यीय टीम
शहर के कचरा प्रबंधन कर रही सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरमेंट (सीएसइ) की टीम में 35 वोलंटियर हैं. सभी इसी शहर के छात्र, घरेलू महिलाएं व दिव्यांग जन हैं. इन्हें अलग-अलग जिम्मेवारी दी गयी है. इसमें दो – तीन लोग कचरा कलेक्ट करते हैं. कुछ वोलेंटियर कचरा प्रबंधन के लिए जागरूक करते हैं. बाकी लोग अपनी सेवा का फीड बैक लेते हैं. पारिश्रमिक के तौर दो सौ प्रति दिन के हिसाब से इनको कंपनी भुगतान करती है. कंपनी में वोलंटियर का काम कर रहे रामेश्वर कॉलेज के बीए का छात्र राजू कुमार ने बताया कि पार्ट टाइम रोजगार के साथ हम साफ-सफाई का गुर सीख रहे हैं.
ऐसे जमा होता है कचरा
घरेलू कचरा को तीन श्रेणी में बांटा गया है. ठोस कचरे के लिए नीला बॉस्केट, नमी वाले कचरा (कीचेन वेस्टेज) के लिए हरा बॉस्केट व मेडिकल वेस्टेज जमा करने के लिए लोगों को निगम की ओर से लाल बॉस्केट हैं. हालांकि अभी लाल बॉस्केट निगम की ओर से उपलब्ध नहीं कराया गया है. सिटी मैनेजर रविश चंद्र वर्मा ने बताया कि जल्द लाल बॉस्केट दे दिया जायेगा. कचरा कलेक्ट करनेवाले वाहन में भी अलग – अलग बॉक्स बनाये गये हैं. प्रोग्राम मैनेजर स्वाति सिंह ने बताया कि मिक्स कचरा को रिसाइकिल करने में परेशानी होती है. यह बीमारी भी पैदा करती है. अलग-अलग कचरा कलेक्ट कर कंपोस्ट बनाया जाता है. ठोस कचरे का उपयोग भी हो जाता है. यह कार्य आइटीसी के जिम्मे है. फिलहाल एमआरडीए में कचरा प्रबंधन का काम चल रहा है.

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