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शह खोदते हैं तेग से कब्रे अली असगर

मुजफ्फरपुर : अंजुमने असगरिया ब्रह्मपुरा के पचासवें सालगिरह पर गुरुवार को मजलिस का आयोजन किया गया. इसमें पेशखानी फाकिर नकवी साहब ने की. निजामत कानपुर से आये जाहिद काजमी ने किया. खिताब फरमाते हुए मौलाना इंतेसार मेहदी ने कहा कि इमाम हुसैन रसूलल्लाह के नवासे थे. हजरत अली के बेटे थे. उस वक्त जो खलीफा […]

मुजफ्फरपुर : अंजुमने असगरिया ब्रह्मपुरा के पचासवें सालगिरह पर गुरुवार को मजलिस का आयोजन किया गया. इसमें पेशखानी फाकिर नकवी साहब ने की. निजामत कानपुर से आये जाहिद काजमी ने किया. खिताब फरमाते हुए मौलाना इंतेसार मेहदी ने कहा कि इमाम हुसैन रसूलल्लाह के नवासे थे. हजरत अली के बेटे थे. उस वक्त जो खलीफा यजीद था. वह बहुत ही जालिम था. उसने खत लिख कर हुसैन से बयत मांगी. इमाम हुसैन ने यजीद की तरफ से इनकार कर दिया.

इमाम हुसैन अपने 72 साथियों को लेकर मदीना से चले. दो मुहर्म काे करबला पहुंचे व 10 मुहर्रम को कुर्बानी पेश की. मजलिस के बाद इमाम हुसैन के भाई हजरत अब्बास, बेटे जनाब अली असगर का झूला व उनकी प्रिय सवारी जुलजुला का जुलूस निकाला गया. यह दरबारे हुसैनी इमामबाड़े से निकल कर बड़े इमामबाड़े में पहुंचा. यहां लोगों ने नोहाखानी की. शह खोदते हैं तेग से कब्रे अली असगर, रोती है जुल्फकार, तड़पती है जुल्फकार जैसे नोहाखानी करते लोग आगे बढ़ते रहे. इस मौके पर मोहाफिजे अजा, अजाय हुसैन, घनश्याम, जिले की अंजुमन जाफरिया, हाशमिया, इमामिया ने नोहाखानी की.

सैयद जुल्फकार अली, सैयद आफताज हुसैन जाफरी, सैयद शकील अहमद, शमशाद रजा काजमी, जॉन रिजवी मुख्य रूप से मौजद थे.

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