मुजफ्फरपुर : गुलशन न रहा गुलचीं न रहा, रह गयी कहानी फूलों की, महमह करती थी वीरानी आखिरी निशानी फूलों की. महाकवि आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री का यह गीत रविवार को निराला निकेतन की हकीकत बना. मौका था महाकवि की 99वीं जयंती समारोह का. महाकवि की पत्नी छाया देवी के निधन के बाद आचार्य की जयंती का पहला मौका था. आचार्य जानकीवल्लभ न्यास से जुड़े लोगों की मौजूदगी के बाद भी समारोह में उदासी छायी रही. आधी से ज्यादा कुर्सियां खाली पड़ी थी.
महाकवि स्मरण के मौके पर जमा होने वाले लोगों के अलावा दो-चार अन्य साहित्यकारों की मौजूदगी रही. कार्यक्रम की शुरुआत आचार्य की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई. समारोह को संबोधित करते हुए साहित्यकार डॉ संजय पंकज ने महाकवि की लेखनी पर विस्तार से प्रकाश डाला.
उन्होंने कहा कि रचनाओं के मामले में महाकवि जानकीवल्लभ शास्त्री गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के समकक्ष हैं. महाकवि के गीतों में जो आत्मीयता है, वह विलक्षण है. अपने गीतों से उन्होंने मनुष्यता को नयी पहचान दी है. मौके पर डॉ रश्मिरेखा ने पिता डॉ दुर्गा प्रसाद नंदे का आलेख शास्त्री जी मेरी दृष्टि में का पाठ किया. आलोचक डॉ रेवती रमण ने कहा कि शास्त्री जी का साहित्य पेड़ है, उसकी जड़े कहीं भी हो, लेकिन उसकी शाखाएं आकाश में फैली हुई हैं. वे कालिदास के परंपरा के कवि थे.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ रामप्रवेश सिंह ने कहा कि माता जी के निधन के बाद न्यास का दायित्व बढ़ गया है. अब हमलोग आचार्य की पुत्री शैल दीदी के नेतृत्व में साहित्यिक विरासत को संभालेंगे. हम एक साथ मिल कर काम करेंगे. प्रभात चंद्र मिश्र ने महाकवि की कविता का पाठ किया. मौके पर आचार्य की पुत्री शैलबाला भी मौजूद थीं. अतिथियों का स्वागत जय मंगल मिश्र कर रहे थे.
बेला का हुआ लोकार्पण
जयंती समारोह में डॉ संजय पंकज की संपादित पत्रिका बेला का लोकार्पण किया गया. डॉ एनकेपी सिंह, डॉ मुतरुजा, डॉ प्रवीण चंद्रा, डॉ शोभना चंद्रा व एचएल गुप्ता ने संयुक्त रूप से पत्रिका का लोकार्पण किया. मौके पर डॉ एनकेपी सिंह ने कहा कि महाकवि विशाल हृदय के थे. उन्होंने सभी प्राणियों के प्रति मान सम्मान व श्रद्धा दिखायी. वे मनुष्य के अलावा वनस्पतियों को प्यार करते थे. डॉ मुतरुजा ने महाकवि के आदर्शो के अनुसार जीवन जीने की बातें कही. उन्होंने कहा कि एकाकीपन कैसे दूर किया जाये, इसकी वे मिसाल थे. डॉ प्रवीण चंद्रा व डॉ शोभना चंद्रा ने महाकवि के साहित्य को देश की धरोहर बताया.