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खुद बेड पर, फिर भी बच्चों में फैला रहे शिक्षा की ज्योति

जूनियर इंजीनियर की नौकरी छोड़ दे रहे अंगरेजी की शिक्षा मीनापुर : खुद आर्थिक तंगी के अंधेरे में रहकर भी अंगरेजी के विद्वान शिक्षक जय नारायण प्रसाद बच्चों में शिक्षा का प्रकाश बांट रहे हैं. प्रखंड के चक्रशूल निवासी जयनारायण प्रसाद खुद बेड पर जीवन व मौत का सामना कर रहे हैं. 13 जून की […]

जूनियर इंजीनियर की नौकरी

छोड़ दे रहे अंगरेजी की शिक्षा
मीनापुर : खुद आर्थिक तंगी के अंधेरे में रहकर भी अंगरेजी के विद्वान शिक्षक जय नारायण प्रसाद बच्चों में शिक्षा का प्रकाश बांट रहे हैं. प्रखंड के चक्रशूल निवासी जयनारायण प्रसाद खुद बेड पर जीवन व मौत का सामना कर रहे हैं. 13 जून की रात वह छत से गिरने के बाद उनकी कमर टूट गयी थी. एक पखवाड़ा के तक वह शहर के प्रसाद अस्पताल में भरती रहे. काफी खर्च के बाद मौत के मुंह से बाहर निकले. लेकिन, अभी बेड पर ही पड़े स्वस्थ होने का इंतजार कर रहे हैं. फिर भी शिक्षा के प्रति उनका अगाध लगाव है. शिक्षा के घोर व्यवसायीकरण की दौर और इस परेशानी में नि:शुल्क उच्च शिक्षा बांट रहे हैं. उनके आवास पर हाइस्कूल व कॉलेज के विधार्थी पहुंचते हैं
. शिक्षा की बदहाली देख इंजीनियर की नौकरी को छोड़ शिक्षक बनने वाले जयनारायण प्रसाद बेहद आर्थिक तंगी में हैं. मीनापुर प्रखंड के एकमात्र कॉलेज यदू भगत किसान महाविद्यालय में 20 वर्षों तक अवैतनिक प्राचार्य रहकर उच्चतर शिक्षा कीबदहाली को दूर किया. प्रबंधन में सहयोग के साथ-साथ अंगरेजी का नि:शुल्क अध्यापन भी किया. इनसे पढ़ने वाले छात्र नियोजित शिक्षक व अन्य सरकारी नौकरियों में हैं.
तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त अनिल कुमार सिन्हा के आग्रह पर सामु- 92 में मुजफ्फरपुर जिले में साक्षरता कार्यक्रम चलाया. जन नाट्य संघ तैयार कर शिक्षा उन्मुखीकरण गीत, लेखन व नुक्कड़ नाटक से समाज में शिक्षा का अलख जगाया. चंपारण में दीर्घकाल तक अवैतनिक शिक्षा सेवा की.
जवाहर नवोदय विद्यालय कुमार बाग में तीन वर्षों तक अध्यापन कर छात्र- छात्राओं को प्रतिस्पर्द्धा में अव्वल बनाया. बगहा के नाइपुर पंचायत को पूर्ण साक्षर बनाया. साथ ही, वाल्मीकिनगर के बीहड़ जंगलों में दलित थारु जाति को शिक्षित किया. उसी वर्ष साक्षरता के क्षेत्र में बिहार को यूनेस्को पुरस्कार मिला था.
उन्होंने विभिन्न जिलों के कई पंचायतों को पूर्ण साक्षर बनाया. पूर्वी चंपारण के मेहसी प्रखंड में अनौपचारिक शिक्षा में सेवा देकर साक्षरता कार्यक्रम को आगे बढ़ाया. वहां उतीर्ण लोगों की बहाली वेतनमान पर किया गया है. उनके लिखे साक्षरता व जन जागरण गीत पुरस्कृत हो चुके हैं. श्री प्रसाद ने पोयट्री इन डायलॉग, प्लीजर, एकेडमिक स्कीट्स जैसे दर्जनों किताबें भी लिखीं.
किसानी की आमद से चार बच्चों को किसी तरह पढ़ा रहे जयनारायण सरकार की नीतियों से काफी आहत है. वे कहते है कि उनके इन त्याग के लिए आज तक कोई इनाम नहीं मिला. वह कहते हैं कि बच्चों की अच्छी शिक्षा दिलवायें या खुद इलाज करायें. शिक्षा के क्षेत्र में इतने बड़े सहयोग करने वाले जयनारायण के प्रति प्रशासन संवेदनहीन है.
फर्जी शिक्षकों के खिलाफ आंदोलन का आगाज करने वाले जयनारायण को मलाल है कि लड़ाई को अंतिम मंजिल तक पहुंचाने में उनका शरीर भी साथ नहीं दे रहा है.
13 जून को छत से गिर कर टूटी थी कमर
आर्थिक तंगी में जगाया शिक्षा का अलख
सैकड़ों बच्चों ऊंचाई देने वाले खुद बदहाल
20 वर्षों तक रहे कॉलेज के अवैतनिक प्रिंसिपल

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