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80 हजार वाहनों को नहीं मिली ऑनर बुक

मुजफ्फरपुर : परिवहन विभाग की कमी का खामियाजा जिले के 80 हजार वाहन मालिकों को भुगतना पड़ रहा है. ये सभी महीनों से वाहन एजेंसी व परिवहन कार्यालय में वाहन ऑनर बुक के स्मार्ट कार्ड के लिए चक्कर काट रहे हैं. वाहनों की जांच कर रहे पुलिस पदाधिकारी पेपर मोड में जारी ऑनर बुक को […]

मुजफ्फरपुर : परिवहन विभाग की कमी का खामियाजा जिले के 80 हजार वाहन मालिकों को भुगतना पड़ रहा है. ये सभी महीनों से वाहन एजेंसी व परिवहन कार्यालय में वाहन ऑनर बुक के स्मार्ट कार्ड के लिए चक्कर काट रहे हैं. वाहनों की जांच कर रहे पुलिस पदाधिकारी पेपर मोड में जारी ऑनर बुक को नहीं मानते हैं. पेपर मोड ऑनर बुक होने के बावजूद उनका चालान काट दिया जाता है, जबकि डेढ़ साल से स्मार्ट कार्ड प्रिंटिंग का काम ठप पड़ा हुआ था. फरवरी, 2016 से स्मार्ट कार्ड प्रिंटिंग का काम शुरू हुआ है.

इसके बाद ड्राइविंग लाइसेंस के बैकलॉग को तो लगभग खत्म कर दिया गया. लेकिन वाहनों के ऑनरबुक का बैकलॉग खत्म नहीं हो सका है. करेंट सेंशन में वाहनों का ऑनर बुक दिया जा रहा है.स्मार्ट कार्ड को लेकर प्रत्येक दिन वाहन एजेंसियों में ग्राहकों की बकझक होती है. लेकिन वाहन एजेंसी के प्रतिनिधि ग्राहकों को किसी तरह समझा बुझा कर शांत करते हैं. पेपर मोड में जारी ऑनर बुक पर उसकी वैद्यता छह माह लिखी होती है और डेढ़ साल से स्मार्ट कार्ड का काम ठप पड़ा हुआ था. इस कारण उन्हें अब तक तीन बार परिवहन कार्यालय में आकर पेपर मोड ऑनर बुक लेना पड़ा.

वाहन मालिकों की माने तो पेपर मोड ऑनर बुक को रखने में काफी परेशानी होती है. जब से पुलिस वालों को वाहन जांच का अधिकार मिला है वह पेपर मोड ऑनर बुक लेकर चलने वालों को काफी परेशान करते हैं. उनका चालान काट देते हैं, परिवहन कार्यालय में जब वह चालान लेकर आते हैं, तो वहां उन्हें राहत मिल जाती है. लेकिन जो वाहन मालिक ऑन स्पॉट जुर्माना भरते हैं, जानकारी के अभाव में कई वाहन मालिकों को पेपर मोड लाइसेंस के कारण एक हजार रुपये जुर्माना अदा करना पड़ा है.
राज्य परिवहन आयुक्त ने मांगा जवाब
परिवहन कार्यालय में लंबित वाहनों के ऑनर बुक (स्मार्ट कार्ड) को लेकर राज्य परिवहन आयुक्त पटना ने सूबे के सभी डीटीओ से जवाब मांगा है. इसमें कहा है उनके कार्यालय में कितने वाहनों का ऑनर बुक का स्मार्ट कार्ड लंबित है और उसका क्या कारण है. उसकी एजेंसीवार सूची तीन दिनों के भीतर उपलब्ध कराये. जारी पत्र में कहा गया है कि पटना विभाग को विभिन्न स्रोत से जानकारी मिल रही है कि डीलर प्वाइंट पर वाहनों के स्मार्ट कार्ड की सही से आपूर्ति नहीं हो पा रही है. जो कि गंभीर चिंता का विषय है. इधर बताते चले कि बिहार में पटना के बाद मुजफ्फरपुर दूसरा ऐसा जिला है जहां सबसे अधिक वाहनों का रजिस्ट्रेशन होता है. जिले में वाहनों के ऑनर बुक की स्थिति सामान्य करने के लिए तत्काल 90 हजार स्मार्ट कार्ड चाहिए. लेकिन विभाग की ओर कभी 3 तो कभी 5 हजार स्मार्ट कार्ड की आपूर्ति होती है. प्रत्येक माह जिले में 5-6 हजार वाहनों का रजिस्ट्रेशन सामान्य तौर पर होता है.
केवल हमारे एजेंसी का करीब 20 हजार वाहनों का स्मार्ट कार्ड लंबित है. करेंट सेंशन तो चालू हुआ है, लेकिन बैकलॉग अभी खत्म नहीं हुआ है. प्रत्येक दिन एजेंसी में दर्जनों ग्राहक आकर व फोन से इसकी शिकायत करते है. उन्हें हम आश्वासन देते है. इस पर विभाग को अविलंब ठोस पहल करनी होगी.
अमर, सीइओ, नॉर्थ बिहार एग्रो एजेंसी प्रा.लि. (हीरो मोटोकॉर्प)
परिवहन विभाग की गलती का खामियाजा हम वाहन एजेंसी वालों को भुगतना पड़ रहा है. रोज दर्जनों ग्राहक एजेंसी में स्मार्ट कार्ड को लेकर बकझक करते है. लेकिन हम कर भी क्या सकते है, किसी तरह उन्हें समझा बुझाकर वापस भेजते है. इस पर परिवहन विभाग को सोचने की जरूरत है.
प्रमोद कुमार, जीएम, तिरहुत बजाज
ड्राइविंग लाइसेंस के बैकलॉग को लगभग खत्म कर दिया गया है. लेकिन कार्ड की कमी के कारण वाहनों का ऑनर बुक लंबित है. इसकी रिपोर्ट पटना विभाग को भेजी जा रही है. कार्ड की आपूर्ति होते ही एक माह के भीतर पूरी स्थिति सामान्य हो जायेगी. पेपर मोड आॅनर बुक पर कोई जुर्माना का प्रावधान नहीं है.
प्रभात कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी

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