मीनापुर: गंगटी गांव का रहनेवाला हार्डकोर नक्सली सुरेश सहनी अपने छह साथियों के साथ 29 जनवरी को हथियार डालेगा. डीएम के सामने सुरेश ने हथियार डालने का फैसला लिया है.
सुरेश ने बताया, सामंतवाद ने कलम की जगह बंदूक पकड़ने पर विवश कर दिया. सुरेश असम व बिहार बोर्ड से प्रथम श्रेणी में इंटर उत्तीर्ण है. परिस्थिति वश उसने लाल झंडा थाम लिया था. पांच जिलों की पुलिस उसकी तलाश में है. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सुरेश की घोषणा से गंगटी गांव में नया सवेरा होने की उम्मीद जगी है.
रंग लायी मुहिम
जदयू नेता तेजनारायण सहनी के प्रयास के बाद 29 जनवरी को डीएम के समक्ष वह समाज की मुख्यधारा में लौटने की घोषणा करेगा. वह हथियार भी पुलिस के हवाले कर देगा. सुरेश के साथ मनोज ठाकुर, सिकंदर, सहनी, लालबाबू बैठा सहित छह लोग नक्सलवाद छोड़ देंगे. पिछले माह मोतिहारी पुलिस द्वारा गिरफ्तार एरिया कमांडर मनोज अग्रवाल ने सुरेश व उसके साथियों के नाम पुलिस को बताये थे. इसके बाद एएसपी अभियान राणा ब्रजेश के नेतृत्व में कई थाने की पुलिस ने सुरेश के घर पर छापेमारी की थी. इसमें रमेश सहनी, राजकुमार सहनी,रामपुकार सहनी, शिवकुमार साह व मोहन सहनी को पुलिस उठा कर ले आयी. बाद में सभी को पीआर बांड पर रिहा कर दिया गया. सुरेश ने बताया, मनोज अग्रवाल ने पुलिस को गुमराह किया है. गिद्धा शहीदी मेले में उसने मनोज अग्रवाल पर चांटा जड़ दिया था. इसलिए उसने मेरे खिलाफ बयान दिया.
पुलिस लौटाये उनका सामान
सुरेश ने बताया, पुलिस ने छापेमारी के दौरान उसके घर से जमीन के सभी दस्तावेज, एलआइसी के बांड, पासबुक, कॉलेज के डॉक्यूमेंट व महारानीजी की पूजा का एक हजार चंदा ले गयी. पुलिस ने अब तक सभी समान नहीं लौटाया है. वहीं वायरिंग के लिए रखे तार को डेटोनेटर घोषित कर दिया. अब मुङो न्याय चाहिए.
दहेज मुक्त शादी करायी
सुरेश ने बताया कि गिद्धा शहीदी मेले में उसने कई बहनों की शादी करायी. वो भी दहेज मुक्त. शहीदी स्मारक पर विवाह के मंत्र व निकाहनामा दोनों पढ़े गये. सुरेश ने बताया कि विश्वंभरपुर डकैती में माओवादियों का हाथ नहीं था. नक्सलियों ने जन अदालत में गलतियों की सजा जरूर दी है. सुरेश ने बताया कि वह मुख्यधारा में लौटने को व्याकुल है. लेकिन वह बेरोजगार है. उसे रोजगार उपलब्ध कराये. पुनर्वास दिया जाय. तीन बच्चों को अच्छे स्कूल में दाखिला कराया जाय. साथ ही उन पर लगे आरोप वापस लिया जाये.
गिद्धा में शहीदी मेला
सुरेश ने बताया, रून्नीसैदपुर के गिद्धा में 28 दिसंबर को गिद्धा मेले का आयोजन उसके नेतृत्व में हुआ था. मेले में करीब चार लाख रुपये खर्च हुए. पैसे गरीबों से इकट्ठा किया गया. गिद्धा में पहले साल राजा भैया, दूसरे साल सुहाग पासवान,तीसरे साल हेमंत पासवान के नेतृत्व में मेले का आयोजन किया गया था. ये सभी जेल में बंद हैं.
असम में हुआ जन्म
नक्सली सुरेश सहनी असम में पैदा हुआ. उसके पिता योगेंद्र सहनी व माता जयवंती देवी 1979 से ही असम में रह कर कारोबार करते हैं. सुरेश मूल रूप से सीतामढ़ी जिले के परशुरामपुर का निवासी है, लेकिन छह वर्ष से वह अपने माता-पिता व पांच भाइयों के साथ गंघटी गांव में रह रहा है. सुरेश के नाना पहरू सहनी को कोई बेटा नहीं है. सुरेश अब गंघटी का स्थायी निवासी बन गया है. सुरेश दो वर्ष से नक्सली संगठन से जुड़ा है. उसने बताया कि सामंतवादियों का शोषण पराकाष्ठा पर पहुंच गया था. पोखर वे लोग बंदोबस्ती करवाते थे, जबकि मछली सामंतवादी लोग लुटवा लेते थे. विरोध करने पर उन पर कहर ढाया जाता था.