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एक जमादार की तीन रिपोर्ट, लिखावट व हस्ताक्षर अलग-अलग

मुजफ्फरपुर:पुलिस की कार्यशैली से उठ रहे भरोसे की कड़ी में एक और पुलिसकर्मी का कारनामा जुड़ गया है. सदर थाना क्षेत्र के जमादार भगवान सिंह ने तीन घटनाओं की जांच रिपोर्ट बनायी, तीनों रिपोर्ट की लिखावट व हस्ताक्षर में अंतर दिख रहा है. यह रिपोर्ट बता रहा है कि आखिर वे अनुसंधान रिपोर्ट में कितनी […]

मुजफ्फरपुर:पुलिस की कार्यशैली से उठ रहे भरोसे की कड़ी में एक और पुलिसकर्मी का कारनामा जुड़ गया है. सदर थाना क्षेत्र के जमादार भगवान सिंह ने तीन घटनाओं की जांच रिपोर्ट बनायी, तीनों रिपोर्ट की लिखावट व हस्ताक्षर में अंतर दिख रहा है. यह रिपोर्ट बता रहा है कि आखिर वे अनुसंधान रिपोर्ट में कितनी हद तक गोपनीयता बरकरार रखी है.
प्रथम दृष्टया उनकी जांच रिपोर्ट देखने से यह प्रतीत होता है कि रिपोर्ट किसी और ने बनायी, और हस्ताक्षर किसी और ने कर दिया. भगवान सिंह ने यह रिपोर्ट कोर्ट को भी सौंप दी है. उन्होंने इसे तैयार करने में पुलिस विभाग के नियमों व गोपनीयता की सीमा को लांघ दिया है. एक अनुसंधानक के नाम से कोर्ट को भेजी गई कई मामलों की जांच रिपोर्ट उनकी कार्यशैली की हकीकत को उजागर कर रही है, जिसमें सभी रिपोर्ट पर अलग-अलग लिखावट व अलग तरीके का हस्ताक्षर है. ऐसे प्रतिवेदन से पीड़ित पक्ष को कितना न्याय मिलेगा, यह बड़ा सवाल है?
मामला नंबर-एक
सदर थाना में पदस्थापित जमादार भगवान सिंह को थाना के कांड संख्या 201/2010 के अनुसंधान का चार्ज दिया गया. सड़क दुर्घटना की प्राथमिकी पश्चिम बंगाल के अनारुल खां ने करायी थी. 27 जून 2010 को सड़क दुर्घटना में रामदयालु के समीप उसके भाई गुलाम मुस्तफा खां गंभीर रुप से जख्मी हो गया था. इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गयी थी. जांच के बाद 31 मार्च 2016 को भगवान सिंह ने इस कांड का अंतिम प्रतिवेदन 249/2016 न्यायालय में समर्पित किया. चार पन्नों में समर्पित किये गये इस अंतिम प्रतिवेदन में भगवान सिंह के हस्ताक्षर और लिखावट में काफी भिन्नता है. इसी कांड के पुलिस डायरी के पेज संख्या-10, सीरियल नंबर- 18646612 की कंडिका- 76 की लिखावट का भी मेल अन्य पन्नों के लिखावट से मेल नहीं खा रहा है. फिर, पेज नंबर- 11 व 12 के सीरियल नंबर 18570776 एवं 18570777 के कंडिका 77 से अंतिम कंडिका 85 तक की लिखावट अलग है.
मामला नंबर -दो
सदर थाना के ही कांड संख्या 158/16 दिनांक 17 मार्च 2016 में भी ऐसा ही उन्होंने कर दिखाया है. मोतीपुर नकटा निवासी अशोक कुमार सिंह की बोलेरो गाड़ी 16 मार्च को उनके बहनोई प्रभात कुमार रंजन के शांति बिहार कॉलोनी स्थित घर से गायब हो गयी थी. अनुसंधानक भगवान सिंह बने. कांड का अंतिम प्रतिवेदन 358/16 न्यायालय में 30 मई 2016 को समर्पित किया था. अंतिम प्रतिवेदन और पुलिस डायरी के कंडिका 1 से 12 व कंडिका 13 से 29 तक की लिखावट व हस्ताक्षर का यही हाल है.
मामला नंबर -तीन
सदर थाना में 11 अप्रैल 2015 को कांड संख्या- 184/15 दर्ज की गयी थी. अहियापुर थाना के हरपुर बखरी निवासी दीपक राम की बाइक 10 अप्रैल 2015 को रामदयालु नगर स्थित मलंग स्थान के पास से चोरी हो गयी थी. प्राथमिकी सदर थाना में हुई. फिर 13 मार्च 2016 को भगवान सिंह ही अनुसंधानक बने. 31 मार्च 2016 को न्यायालय में अंतिम प्रतिवेदन संख्या-251/16 समर्पित किया. इस अंतिम प्रतिवेदन के सीरियल नंबर 1229759 पर अंकित अक्षर अन्य किसी भी डायरी या अंतिम प्रतिवेदन से मेल नहीं खा रहें हैं. इस कांड की पुलिस डायरी की पृष्ठ संख्या 3, सीरियल नंबर 00530264 के कंडिका- 16, 17,18 एवं 19 के लिखावट में अंतर है. कंडिका 20 से 31 तक की लिखावट में भी भिन्नता है.

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