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उत्तर बिहार का बड़ा भू-भाग होगा जलमुक्त

मुजफ्फरपुर: पूरे साल जल मग्न रहने वाले उत्तर बिहार के बड़े भू-भाग को जल्द ही कृषि योग्य बनाया जायेगा. इसके लिए गंडक कमांड क्षेत्र विकास अभिकरण (गाडा) ने लगभग 20 करोड़ की विस्तृत जल निकासी योजना तैयार की है. इसकी स्वीकृति के लिए राज्य व केंद्र सरकार को भेजा गया है. इसमें मुजफ्फरपुर, बेतिया, मोतिहारी […]

मुजफ्फरपुर: पूरे साल जल मग्न रहने वाले उत्तर बिहार के बड़े भू-भाग को जल्द ही कृषि योग्य बनाया जायेगा. इसके लिए गंडक कमांड क्षेत्र विकास अभिकरण (गाडा) ने लगभग 20 करोड़ की विस्तृत जल निकासी योजना तैयार की है. इसकी स्वीकृति के लिए राज्य व केंद्र सरकार को भेजा गया है. इसमें मुजफ्फरपुर, बेतिया, मोतिहारी व छपरा की कई महत्वाकांक्षी योजनाएं शामिल हैं.

सबसे बड़ी योजना सरैया-पारू प्रखंडों के ताल-खजुरी चौर की जल निकासी है. इस पर पांच करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. फरवरी के अंत तक इन योजनाओं पर काम शुरू कर दिया जायेगा. वहीं, गंडक कमांड क्षेत्र में सिंचाई नाले कार्यक्रम के अंतर्गत छह करोड़ की दर्जनों छोटी योजनाओं के कार्यान्वयन की स्वीकृति के लिए राज्य सरकार को लिखा गया है. सरकार की ओर से स्वीकृति मिलने के बाद इन योजनाओं पर फरवरी महीने में कार्य शुरू होगा.

जल जमाव क्षेत्र की दस योजनाएं
केंद्र सरकार के जल जमाव क्षेत्रों का सुधार कार्यक्रम के तहत गाडा ने बेतिया की आठ व मुजफ्फरपुर व मोतिहारी की एक-एक योजनाओं का प्रस्ताव बनाया है. इसकी स्वीकृति के लिए सरकार को भेज दिया है. इस कार्यक्रम के तहत 20 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से जल निकासी पर खर्च करने का प्रावधान है. इसी के अंतर्गत ताल-खजुरी चौर व मोतिहारी के धनगरहा सरोतर चौर की जल निकासी योजनाएं भी शामिल हैं.

प्रक्षेत्र जल निकासी योजना
इस योजना के तहत मुजफ्फरपुर की दो व बेतिया की आठ योजनाओं के कार्यान्वयन की स्वीकृति मिल चुकी है. आवंटन भी प्राप्त हो गया है. इनके कार्यान्वयन पर लगभग 3.5 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसके अलावा छपरा जिला के गोरारी चौर की 90 लाख की योजना सहित मुजफ्फरपुर की दो अन्य जल निकासी योजनाओं का प्रस्ताव भी राज्य सरकार को भेजा गया है.

अभिशाप है ताल-खजुरी चौर
सरैया व पारू प्रखंड का ताल-खजुरी चौर किसानों के लिए वर्षो से अभिशाप बना है. इसकी जल निकासी का वृहद प्लान आज तक नहीं बनने के कारण सैकड़ों किसानों की हजारों हेक्टेयर भूमि जलमग्न रहती है. यदि जल जमाव क्षेत्रों के सुधार कार्यक्रम के तहत इसकी जल-निकासी योजना को स्वीकृति मिली तो निश्चय ही किसानों के घर खुशियां लौट आयेगी. यह चौर साहेबगंज प्रखंड के भी एक हिस्से को प्रभावित करता है.

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