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बंगरा घाट पुल के लिए भूमि अर्जन को विभाग तैयार

मुजफ्फरपुर: गोपालगंज के एसएच-74 व एसएच-90 को जोड़ने के लिए बंगरा घाट पर बनने वाले उच्चस्तरीय आरसीसी पुल व संपर्क पथ को लेकर जारी विवाद सुलझ गया है. जिलाधिकारी धर्मेंद्र सिंह के हस्तक्षेप के बाद जिला भू-अर्जन विभाग अब इस योजना के लिए फिर से भूमि अर्जित करने को तैयार हो गया है. भू अर्जन […]

मुजफ्फरपुर: गोपालगंज के एसएच-74 व एसएच-90 को जोड़ने के लिए बंगरा घाट पर बनने वाले उच्चस्तरीय आरसीसी पुल व संपर्क पथ को लेकर जारी विवाद सुलझ गया है. जिलाधिकारी धर्मेंद्र सिंह के हस्तक्षेप के बाद जिला भू-अर्जन विभाग अब इस योजना के लिए फिर से भूमि अर्जित करने को तैयार हो गया है.
भू अर्जन नयी लीज नीति के तहत होगा. इसके लिए पहल भी शुरू हो गयी. योजना के तहत बंगरा घाट पर उच्चस्तरीय पुल के साथ-साथ 18.5 किलोमीटर संपर्क पथ का निर्माण होना है. इसके लिए साहेबगंज के सात गांवों में 49.066 एकड़ जमीन की जरूरत है. शुरुआत में इसके लिए भू-अर्जन की योजना बनायी गयी थी. इसके लिए पुल निगम ने प्रस्ताव तैयार कर जिला भू-अर्जन विभाग को भेजा था. विभाग ने इसकी प्रक्रिया शुरू करते हुए जमीन के सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन के लिए संबंधित विभाग को प्रस्ताव भी भेज दिया था. बाद में भू-अर्जन विभाग ने पथ निर्माण विभाग के एक पत्र का हवाला देते हुए अर्जन के प्रस्ताव को वापस करते हुए पुल निगम को जमीन सतत लीज पर लेने का निर्देश दिया. पुल निगम के अध्यक्ष विनय कुमार ने इस फैसले को गलत, अवैधानिक व मनमाना बताते हुए जिलाधिकारी को पत्र लिख आपत्ति जतायी थी. उनका कहना था कि भू-अर्जन एक विशेषज्ञता का क्षेत्र है. इसके लिए प्रशासनिक ढांचा जिला प्रशासन के पास ही है. जहां तक छोटे स्थान पर भूमि अधिग्रहण का सवाल है, वहां जन सहमति के आधार पर लीज नीति का अनुसरण करना संभव है, लेकिन पहुंच पथ व अन्य रेखीय संरचना में, जिसकी लंबाई 15 किलोमीटर से अधिक हो, वहां पर निगम के पास लीज के आधार पर कार्रवाई करने की क्षमता ही नहीं है. विवाद सुलझाने के लिए खुद डीएम को आगे आना पड़ा.
गरहां-हथौड़ी पथ में पुल निर्माण योजना पर जीच
मुजफ्फरपुर. गरहां-हथौड़ी पथ के चौथे किलोमीटर में उच्चस्तरीय पुल का निर्माण होना है. इसके लिए पथ प्रमंडल संख्या-1 ने वर्ष 2010 में भू-अर्जन का प्रस्ताव विभाग को भेजा था. बाद में इसके लिए राशि भी उपलब्ध करा दी गयी. लेकिन अब भू-अर्जन विभाग ने इसके लिए जमीन के अर्जन का प्रस्ताव खारिज करते हुए विभाग को संचिका लौटा दी है. उक्त जमीन अब सतत लीज पर लेने को कहा गया है. विभाग के कार्यपालक अभियंता ने इस पर आपत्ति जताते हुए जिला भू-अर्जन पदाधिकारी को पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि योजना के लिए भू-अर्जन का प्रस्ताव चार साल पूर्व भेजा गया था. अब उस स्थान पर घनी आबादी बस चुकी है. ऐसे में वहां सतत लीज पर जमीन लेने में परेशानी होगी.
पुल निगम को भू-अर्जन की जगह सतत पर लीज पर जमीन लेने का सुझाव सरकारी पत्र के आलोक में दिया गया था. पुल निगम के अध्यक्ष का मानना है कि उनके पास इतनी बड़ी जमीन लीज पर लेने की क्षमता नहीं है. उनकी मांग पर जिलाधिकारी ने भू-अर्जन की सहमति दे दी है. शीघ्र ही प्रस्ताव विभाग को भेज दिया जायेगा.
अरविंद ठाकुर, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी

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