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15 पुलिसकर्मियों के भरोसे कोर्ट हाजत की सुरक्षा

मुजफ्फरपुर: अति सुरक्षित कचहरी परिसर में बने कोर्ट हाजत में 15 पुलिसकर्मियों के भरोसे ही पूरी सुरक्षा व्यवस्था है. रोजाना 350 से अधिक कैदियों को कोर्ट में पेशी के लिए लाया जाता है. वर्तमान में हाजत में तैनात 15 पुलिसकर्मी कैदियों को रोजाना विभिन्न कोर्ट में पेशी के लिए ले जाते हैं. आये दिन कोर्ट […]

मुजफ्फरपुर: अति सुरक्षित कचहरी परिसर में बने कोर्ट हाजत में 15 पुलिसकर्मियों के भरोसे ही पूरी सुरक्षा व्यवस्था है. रोजाना 350 से अधिक कैदियों को कोर्ट में पेशी के लिए लाया जाता है. वर्तमान में हाजत में तैनात 15 पुलिसकर्मी कैदियों को रोजाना विभिन्न कोर्ट में पेशी के लिए ले जाते हैं. आये दिन कोर्ट हाजत में वर्चस्व को लेकर कैदियों की भिड़ंत की घटनाएं होती रहती है. लेकिन, उसके बाद भी हाजत की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस के वरीय अधिकारी सक्रिय नहीं है. बताया जाता है कि हाजत में 40 पुलिसकर्मियों का पद है.

तीन माह से प्रमोटी दारोगा लाल मोहन यादव के भरोसे कोर्ट हाजत की व्यवस्था चल रही है. वहीं मात्र दो जमादार तैनात हैं. हाजत में तैनात 15 पुलिसकर्मियों में अधिकांश सिपाहियों की उम्र 50 साल पार कर चुकी है. उसके बाद भी वरीय अधिकारी सचेत नहीं है. पूर्व में 2009 बैच के दारोगा ज्ञान प्रकाश कोर्ट हाजत के प्रभारी के पद पर तैनात थे, लेकिन उनका तबादला अहियापुर थाने में कर दिया गया. उसके बाद से प्रमोटी दारोगा के भरोसे ही पूरी व्यवस्था चल रही है.

नहीं होता हाजत का निरीक्षण
कोर्ट हाजत में रोजाना गंभीर कांडों के कैदी जेल से पेशी के लिए लाये जाते है. उसके बाद भी हाजत की सुरक्षा भगवान भरोसे है. सोमवार की घटना की जानकारी मिलने पर वरीय अधिकारियों के बीच हड़कंप मच गया था. आनन-फानन में पुलिस लाइन सहित सभी शहरी थानाध्यक्ष को मौके पर बुला लिया गया. हालांकि, नगर डीएसपी के पहुंचने के बाद मामला शांत हो गया था. बताया जाता है कि कई साल से पुलिस के किसी भी वरीय अधिकारी ने कोर्ट हाजत के सुरक्षा व्यवस्था का न तो जायजा लिया है और नहीं निरीक्षण किया है. हाजत में तैनात पुलिसकर्मी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि पेशी के दौरान आने वाले कैदी उनलोगों से गाली-गलौज करते है. वे लोग किसी तरह नौकरी निभा रहे है.

पैसे पर हर सुविधा उपलब्ध
जेल से पेशी को आये एक कैदी ने बताया कि कोर्ट से लेकर जेल में पैसे पर हर सुविधा उपलब्ध है. पेशी के दौरान आये कैदी परिजन से मिलते है. इसके लिए पेशी को ले जाने वाला सिपाही से से दो सौ रुपये लेता है. पेशी पर आने पर वे सब्जी खरीद कर ले जाते है.

पोस्टिंग के लिए पैरवी
कोर्ट हाजत में पोस्टिंग के लिए सिपाही पैरवी कराते हैं. बताया जाता है कि कोर्ट में पेशी के दौरान कैदियों को ले जाने के दौरान उन्हें मोटी कमाई होती है. अमूमन पेशी के दौरान आये कैदियों से 20 रुपये से लेकर 500 रुपये तक अवैध वसूली होती है. इसी अवैध वसूली के कारण सिपाहियों कोर्ट हाजत में पदस्थापन के लिए पैरवी कराते है. छानबीन में बात सामने आयी थी कि सोमवार को भी कन्हाई ने सिपाही को पैसे देकर पेशी के बाद दुकान में बैठ कर शराब पी थी.

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