जबकि मौजूदा समय में बियाडा में जमीन के लिए बेहद मारामारी है. 2013 के बाद से बियाडा किसी भी उद्यमी को जमीन का आवंटन नहीं हो सका है. क्योंकि महज 26 एकड़ जमीन ही बियाडा के पास बची है. उस पर सरकार ने अभी हाल में जमीन का रेट भी बेहद कम करते हुए प्रति एकड़ 1 करोड़ 62 लाख 75 हजार रुपये कर चुकी है. इसकी वजह से जमीन लेने वालों की फेहरिस्त भी लंबी हो चुकी है. इसकी वजह से बियाडा इन बंद पड़े यूनिटों को कैंसिल करने का प्लान बना रहा है. बियाडा के कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन ने बताया कि इस मामले में हाई लेबल पर बात-चीत जारी है. इस पर सरकार जल्द ही निर्णय लेगी. क्योंकि बंद पड़े यूनिट से सरकार को राजस्व भी नहीं मिल पा रहा है. साथ ही बंद पड़े यूनिट के जमीन बेहद कीमती है. इस पर जल्द ही फैसला भी आ जाएगा.
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सरकार की बंद पड़ीं यूनिटें होंगी कैंसिल
मुजफ्फरपुर: बियाडा में कई सालों से बंद पड़े सरकार के यूनिट कैंसिल होंगे. इन यूनिटों से कई सालों से कोई प्रोडक्शन नहीं हुआ है. इससे सरकार को राजस्व भी नहीं मिल पा रहा है. जिस जमीन पर यूनिट स्थापित है, उसकी वैल्यू करोड़ों रुपये की है. ये यूनिट बेकार साबित हो रहे हैं. इसकी वजह […]
मुजफ्फरपुर: बियाडा में कई सालों से बंद पड़े सरकार के यूनिट कैंसिल होंगे. इन यूनिटों से कई सालों से कोई प्रोडक्शन नहीं हुआ है. इससे सरकार को राजस्व भी नहीं मिल पा रहा है. जिस जमीन पर यूनिट स्थापित है, उसकी वैल्यू करोड़ों रुपये की है. ये यूनिट बेकार साबित हो रहे हैं. इसकी वजह से बियाडा इसे कैंसिल करने की तैयारी में जुट गया है. इस मामले में उचस्तरीय बातचीत भी शुरू हो गयी है. जल्द ही इस पर सरकार का फैसला भी आ जायेगा. बियाडा में सरकारी यूनिट स्थापित हुई तो लोगों को लगा कि उत्तर बिहार में ये यूनिट सफल होंगे.
कुछ लोगों को रोजगार भी मिलेगा. किसी तरह यूनिट शुरू हो गये, लेकिन इन यूनिटों में प्रोडक्शन का काम जिस स्तर से शुरू होना चाहिए था, नहीं हो सका. सरकार ने इन यूनिटों को बंद करने का फरमान जारी कर दिया. बिहार स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट साइकिल रिक्शा काॅरपोरेशन, आइडीपीएल, भारत वैगन, बिहार फीनिशड लेदर सहित गैर सरकारी यूनिट उपेंद्र पेपर मिल, रत्न अल्युमिनियम इंडस्ट्री, रतन झा मिल, जेनटक सीड्स प्राइवेटल लिमिटेड, रोहित होजरी बंद हैं. इनमें काम कर रहे कर्मचारी पूरी तरह से बेरोजगार हो चुके हैं.इन यूनिटों को बंद होने से जहां एक तरफ सरकार को राजस्व नहीं मिल पा रहा है, तो दूसरी तरफ इनके जमीन भी किसी के काम नहीं आ पा रहे है.
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