दो निर्दलीय व एक मुखिया की जीत रही चर्चा में सियासी परिक्रमा 2015: -दो दिग्गजों की विरासत को नहीं बचा सके उनके बेटे -कई दिग्गजों के लिए अच्छा नहीं रहा यह साल मुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर वर्ष 2015 जिले की राजनीति मेें उथल-पुथल को लेकर चर्चाओं में रहा. 25 साल बाद जिले के कांटी व बोचहां से महादलित जाति से आने वाले अशोक चौधरी व बेबी कुमारी ने निर्दलीय चुनाव जीतकर राजनीतिक दलों को यह दिखाया कि पार्टी के बल पर ही नहीं, अपनी कर्मठता व जनता की सेवा से भी जीत दर्ज की जा सकती है. बेबी ने बोचहां से आठ बार जीत चुके राज्य सरकार के मंत्री व जदयू के दिग्गज नेता रमई राम को पराजित कर एक नया इतिहास रच दिया. वहीं सामान्य सीट कांटी से लगातार तीन चुनाव जीतने वाले पूर्व मंत्री व एनडीए गंठबंधन से हम के उम्मीदवार अजीत कुमार को चुनाव में शिकस्त देकर अशोक चौधरी ने भी यह दिखाया कि पार्टी ही नहीं, नि:स्वार्थ भाव से सेवा करके निर्दलीय भी चुनाव जीता जा सकता है. 90 के बाद हुए विधान सभा चुनावों में जिले की जनता ने निर्दलीय उम्मीदवारों पर भरोसा नहीं दिखाया था. 90 के चुनाव में जिले में गायघाट से महेश्वर यादव, कुढ़नी से साधु शरण शाही व पारू से वीरेंद्र कुमार सिंह निर्दलीय चुनाव जीते थे. इसके बाद हुए वर्ष 2000 के चुनाव में मीनापुर से दिनेश प्रसाद निर्दलीय चुनाव लड़कर जीते, लेकिन उन्हें एनडीए का समर्थन मिला था. विपिपा कोटे में वह सीट गया, लेकिन नामांकन के बाद यह फैसला हुआ जिसके कारण वे निर्दलीय प्रत्याशी रहे. वहीं वर्ष 2005 के चुनाव में विजेंद्र चौधरी शहर विधान सभा से निर्दल चुनाव जीते, लेकिन उन्हें भाजपा-जदयू गंठबंधन का समर्थन मिला था. वैसे जिले की राजनीति में इस बार कई नई चीजें सामने आई. और कुछ पुराने इतिहास भी दुहराए गए. कुढ़नी विधान सभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते मुखिया केदार गुप्ता को हर कोई बहुत हल्के में आंक रहा था, लेकिन जनता ने राज्य सरकार के मंत्री रहे मनोज कुशवाहा को एक तरह से नकारते हुए मुखिया को ही अपना विधायक बनाना उचित समझा. सकरा सुरक्षित क्षेत्र से इस बार जनता ने नए चेहरे को जीत का सेहरा पहनाया, जिसमें राजद के लालबाबू राम चुनाव जीते. पूर्व विधायक सुरेश चंचल के लिए यह साल काफी नुकसान का रहा. जदयू से बगावत कर वे भाजपा का दामन थामे, लेकिन उन्हें टिकट से वंचित कर दिया गया. साहेबगंज में राजद के दिग्गज व मंत्री रह चुके राम विचार राय को राजू कुमार सिंह राजू ने लगातार तीन चुनाव में मात थी, लेकिन इस बार फिर राम विचार राय जीत हासिल कर विधान सभा पहुंचे. साथ ही मंत्री बनकर अपना पुराना रुतबा भी हासिल कर लिया. औराई विस से डॉ सुरेंद्र कुमार ने भाजपा के राम सूरत राय से सीट झटक लिया. हालांकि भाजपा के दो विधायकों के लिए यह साल अच्छा रहा. नगर से सुरेश कुमार शर्मा व पारू से अशोक सिंह पर जनता ने फिर से विश्वास जताते हुए विधान सभा तक भेजा है. जबकि मीनापुर के विधायक दिनेश प्रसाद व बरुराज के विधायक ब्रजकिशोर सिंह ने अपनी विरासत संभालने के लिए बेटों को आगे किया. अपनी जगह पुत्रों को भाजपा से टिकट भी दिलवाया. मीनापुर से दिनेश प्रसाद के पुत्र अजय कुमार में चुनाव में उतरे, जिन्हें राजद के राजीव रंजन उर्फ मुन्ना यादव ने पराजित कर दिया. वहीं बरुराज से विधायक ब्रजकिशोर सिंह के पुत्र अरुण कुमार सिंह को पूर्व विधायक स्व शशि कुमार राय के भाई नंद कुमार राय ने पराजित कर दिया.
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दो नर्दिलीय व एक मुखिया की जीत रही चर्चा में
दो निर्दलीय व एक मुखिया की जीत रही चर्चा में सियासी परिक्रमा 2015: -दो दिग्गजों की विरासत को नहीं बचा सके उनके बेटे -कई दिग्गजों के लिए अच्छा नहीं रहा यह साल मुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर वर्ष 2015 जिले की राजनीति मेें उथल-पुथल को लेकर चर्चाओं में रहा. 25 साल बाद जिले के कांटी व बोचहां […]
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