मुजफ्फरपुर: बिल वितरण व मीटर रीडिंग में सुधार नहीं होने से उपभोक्ताओं की परेशानी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. लोग बिल के बोझ से लोग दबते जा रहे हैं. दो तीन महीने पर मोटा बिल आने पर जहां लोगों को पैसा जमा करने में पसीना छूट रहा है. वहीं, कम व मध्यम आय वर्ग के लोग कर्ज लेकर बिल का भुगतान कर रहे हैं. बिल एजेंसी की लापरवाही का खामियाजा लोगों को उठाना पड़ रहा है. इधर बिल वितरण नहीं होने से पिछले दो महीने से राजस्व ग्राफ भी तेजी से नीचे की ओर जा रहा है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बिजली खपत के अनुसार अक्तूबर में सात करोड़ कम राजस्व वसूली हुआ था.
80 प्रतिशत उपभोक्ताओं को नहीं मिला बिल : नवंबर में 80 प्रतिशत लोगों को बिजली बिल नहीं मिल पाया. निजी कंपनी के अंतर्गत आने वाले शहर व आसपास इलाके के 1.5 लाख उपभोक्ता में से सिर्फ 20 हजार को बिल मिला है. एस्सेल कंपनी के अधिकारी भी मानते हैं कि यही स्थिति रही तो राजस्व वसूल करना मुश्किल हो जायेगा. मीटर रीडिंग की बात करें तो स्थिति और भी बदतर है.
अधिकांश इलाकों में तीन महीने में एक बार मीटर रीडिंग हो रही है. औसत बिल (40 यूनिट) भेज कर खानापूर्ति होती है. इसका नुकसान उपभोक्ता उठा रहे हैं. तीन महीने पर एक साथ पांच सौ यूनिट का बिल आने पर बिजली शुल्क अधिक देना होता है. उल्लेखनीय है कि 100 से अधिक यूनिट का बिल आने पर टैरिफ बढ़ जाता है. इसका बोझ उपभोक्ताओं को उठाना होता है. इसके साथ ही बिल पोस्टिंग की समस्या भी ङोलनी पड़ती है. बिन मीटरिंग के बिल पोस्टिंग में गड़बड़ी आम बात है. सुधार के लिए लोगों को महीनों बिजली कार्यालय का चक्कर लगाना होता है.