मुजफ्फरपुर: उत्तर रक्षा गृह की पीड़िता गुड़िया (काल्पनिक नाम) ने अपनी बीमारी के बारे में जिस तरह आयोग को अपनी बात कही है. उससे प्रतीत होता है कि वह गर्भवती है. उसके नाबालिग होने की पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट में हुई है. यह बातें राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल ने परिसदन में पत्रकारों से कहीं. उन्होंने सदर अस्पताल जाकर पीड़िता का हाल-चाल जाना. वहां उसने शरीर व पेट में दर्द, चक्कर आना और मिचली होने की बात कही. पूछने पर उसने चाऊमीन व पानी पूड़ी खाने की इच्छा जतायी. ये बातें उसके गर्भवती होने का इशारा करती हैं.
अध्यक्ष को गुड़िया ने बताया, वह किस तरह दरभंगा से मुजफ्फरपुर लौटी. एक माह बाद डॉ प्रीति सिंह ने उसकी मेडिकल जांच कर अल्ट्रासाउंड के लिए कहा, लेकिन अल्ट्रासाउंड नहीं हुआ. मीडियामें खबर आने के बाद एफआइआर हुई. सीडब्ल्यूसी ने दो सप्ताह बाद एफआइआर की अनुशंसा की. इस मामले में अब तक तीन एफआइआर दर्ज हुए. यह इस बात की ओर इशारा करता है कि इसके पीछे एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है. निरीक्षण में डीडीसी विश्वनाथ चौधरी, नगर डीएसपी उपेंद्र कुमार, महिला थानाध्यक्ष सुनीता, पूर्व एमएलसी गणोश भारती, जदयू नेता नरेंद्र पटेल व कुंदन कुमार पिंकू, डॉ विमल पराशर आदि शामिल थे.
गुड़िया से पूछताछ के बाद टीम गोबरसही स्थित उत्तर रक्षा गृह में पहुंची, जहां इस बात की पुष्टि हुई कि इंद्रजीत नाम का लड़का गुड़िया से मिलने जाता था. इतना ही नहीं, वहां कुछ नाबालिग लड़कियां भी रहती थीं, जबकि उत्तर रक्षा गृह में नाबालिग को नहीं रखना है. टीम ने माना कि इसके लिए सामाजिक सुरक्षा कोषांग के सहायक निदेशक एसएन त्रिपाठी जिम्मेदार हैं. उनके खिलाफ जांच कर कार्रवाई की जायेगी. जांच में यह भी सामने आया कि रक्षा गृह से बच्चियां बाहर जाती थीं.
टीम जब मझौलिया स्थित चाइल्ड होम पहुंची तो वहां नया खुलासा हुआ. केयर टेकर ने बताया कि यहां चार बच्चियां रह रही हैं, जबकि पांचवीं बच्ची सिम्मी (काल्पनिक नाम) को कमरे में बंद कर रखा गया था. दरवाजा खुलवा कर उससे पूछताछ की गयी तो पता चला कि वह नीम चौक की रहनेवाली है. बच्ची यहां सात अक्तूबर रह रही है, जबकि बच्ची को यहां 72 घंटे से अधिक नहीं रखा जाना चाहिए. आयोग के अध्यक्ष ने इसको लेकर चाइल्ड लाइन के निदेशक सतेंद्र कुमार सिंह व को-ऑर्डिनेटर उदय शंकर शर्मा पर एफआइआर करने का आदेश दिया. उनका कहना था कि बच्ची यहां रह रही थी तो इसकी सूचना सामाजिक सुरक्षा कोषांग, डीएम, एसएसपी व महिला थाना को देनी चाहिए. चाइल्ड लाइन ने ऐसा नहीं किया.
आयोग के अध्यक्ष ने कहा, कई जानकारियां छुपायी गयी हैं. गुड़िया के मामले में तथ्यों को छुपाने व दबाने की कोशिश करने वालों पर पॉस्को एक्ट के तहत कार्रवाई की जायेगी. चाहे चाइल्ड लाइन, बाल कल्याण समिति, सामाजिक सुरक्षा कोषांग, जिला प्रशासन का कोई भी हो. पूरे मामले की जांच डीएसपी रैंक के अधिकारी करेंगे. जो जांच चल रही है वह चलेगी. इस मामले में तीन एफआइआर हुए हैं और तीनों के तहत कार्रवाई होगी
आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल ने कहा, उत्तर रक्षा गृह में बच्चियों के साथ र्दुव्यवहार किया जाता था. अब तक जो बातें जांच में सामने आयी है, उससे यह स्पष्ट है कि यहां पर बच्चियों का यौन शोषण होता था. देह व्यापार भी करवाया जाता था. राज्य महिला आयोग की टीम ने भी जांच के बाद देह व्यापार होने की पुष्टि की थी. उस मामले में महिला राज्य आयोग की टीम ने 14 नवंबर को एसएसपी से मिल कर एफआइआर का आदेश दिया था.