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आजीविका योजना के नाम पर 158 लाख का गोलमाल
मुजफ्फरपुर: ग्रामीण विकास योजना के लिए जिले को आवंटित की राशि में भारी गोलमाल हुआ है. योजनाओं के नाम पर पैसा को किस कदर बहाया गया, इसका खुलासा महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट से हुआ है. महालेखाकार ने डीडीसी को पत्र लिख कर गंभीर आपत्ति जाहिर करते हुए चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट तलब की है. […]
मुजफ्फरपुर: ग्रामीण विकास योजना के लिए जिले को आवंटित की राशि में भारी गोलमाल हुआ है. योजनाओं के नाम पर पैसा को किस कदर बहाया गया, इसका खुलासा महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट से हुआ है. महालेखाकार ने डीडीसी को पत्र लिख कर गंभीर आपत्ति जाहिर करते हुए चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट तलब की है.
2015-16 ऑडिट में योजनाओं में व्यय की राशि के बारे में जो तथ्य सामने आये हैं, यह चौंकाने वाला है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आजीविका योजना में 158 लाख की राशि कागज पर ही खर्च हो गयी. लाभुकों को गाय खरीदने के लिए भले ही पैसा नहीं मिला, लेकिन दूध उत्पादन सह संग्रह केंद्रों पर उपकरण व मशीन खरीद हो गयी है. यही नहीं, दूध उत्पादन केंद्रों की जगह का नाम, लाभुकों के चयन के आधार के बारे में ऑडिट टीम को लेखा-जोखा नहीं दिया गया.
मनरेगा मजदूरी में ऐसे हुआ घपला
जिला परिषद के कनीय अभियंता नागेश्वर मंडल ने बिना खाते में राशि के ही मनरेगा मजदूरों की मजदूरी के लिए लाखों का चेक पोस्ट ऑफिस को जारी कर दिया. आलम यह हुआ कि सभी चेक बाउंस कर गये, पोस्ट ऑफिस को रौलिंग मनी से मजदूरों का भुगतान करना पड़ा. मामले में पोस्ट ऑफिस की भूमिका पर ऑडिट टीम ने सवाल खड़ा किया है. ऑडिट टीम ने कटरा चंगेल पंचायत की योजनाओं के बारे में कार्य ऐजेंसी, जिला परिषद से पूछा कि खाते में राशि नहीं रहने पर कैसे चेक काट दिया, इसके जवाब में कनीय अभियंता नागेश्वर मंडल का जवाब था कि जून माह में अलग-अलग तिथियों को कुल 1210049.00 का ही चेक निर्गत किया था.
चेक निर्गत करने के समय मेरे खाते में पर्याप्त राशि थी. जिला स्तर से 29800000 राशि जिला परिषद को मनरेगा के लंबित भुगतान के लिए प्राप्त हो गयी थी, लेकिन निकासी प्रक्रिया पत्राचार के कारण राशि आज भी जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के खाते में सुरक्षित है. कनीय अभियंता के दलील को ऑडिट टीम ने खारिज कर दिया है. टीम ने बैंक खाते की अंकेक्षण रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि कनीय अभियंता द्वारा 67 चेक बाउंस करने की राशि की कटौती की गयी थी, जबकि कनीय अभियंता 59 चेक बाउंस करने की बात कही है. ऑडिट टीम ने साफ तौर पर कहा है कि जिला स्तर से राशि प्राप्त नहीं हुई थी, फिर भी चेक काटा गया. यह गंभीर बित्तीय अनियमितता का सूचक है.
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