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महागंठबंधन की जीत से क्षतिपूर्ति के लिए मुखर हुए किसान

महागंठबंधन की जीत से क्षतिपूर्ति के लिए मुखर हुए किसान रबी की खेती के लिए पूंजी जुटाना हुआ संकट खेती कर फट रहा हर किसानों का कलेजा खरीफ में हुई बारिश की रिपोर्ट देखें, फिर लें निर्णय धान की फसल को मजदूर काटने के लिए तैयार नहीं वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरमहागंठबंधन के पक्ष में चुनाव परिणाम […]

महागंठबंधन की जीत से क्षतिपूर्ति के लिए मुखर हुए किसान रबी की खेती के लिए पूंजी जुटाना हुआ संकट खेती कर फट रहा हर किसानों का कलेजा खरीफ में हुई बारिश की रिपोर्ट देखें, फिर लें निर्णय धान की फसल को मजदूर काटने के लिए तैयार नहीं वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरमहागंठबंधन के पक्ष में चुनाव परिणाम आने के साथ ही सीएम नीतीश कुमार से किसानों की उम्मीदें बढ़ गयी हैं. जिले में बारिश बहुत कम होने के बाद खरीफ फसल की बरबादी की क्षतिपूर्ति के लिए आवाज बुलंद होने लगी है. किसानों का कहना है कि उनकी फसल लगातार बरबाद हो रही है. रबी फसल असमय बारिश व सैनिक कीट के हमले से बरबाद हो गयी. इसके बाद उम्मीद खरीफ से थी. लेकिन, बारिश नहीं होने से वो उम्मीदें भी टूट गयीं. किसानों के समक्ष अब रबी 2015 के लिए पूंजी जुटाना संकट हो गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को किसानों की बरबादी पर कुछ काम करने की जरूरत है. केंद्र सरकार से कोई उम्मीद नहीं रह गयी है. नेमापुर के मो जाकिर हुसैन बताते हैं कि रबी व खरीफ बरबाद हो गयी. गेहूं की क्षतिपूर्ति बहुत किसानों को अबतक नहीं मिली है. खरीफ के डीजल अनुदान पैसा नहीं मिला है. अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुखाड़ घोषित करने के लिए काम करना चाहिए. रैनी के शत्रुघ्न राय बताते हैं कि ट्रैक्टर व जई का बीज लेकर बोने गये थे. खेत में नमी देख बीज बोने की हिम्मत नहीं हुई. वापस चले आये. ऐसे में गेहूं की बोआई कैसे करेंगे? डीजल अनुदान आज तक नहीं मिला. सीएम इस पर ध्यान दें. बखरी के नंद किशोर राय बताते हैं कि धान लगाया था. बारिश नहीं हुई. पटवन के बाद भी सब फेल कर गया. आलू लगाना है, नमी का संकट है. धान का उत्पादन नहीं हुआ. रबी में खेती के लिए पैसे कहां से लायेंगे? पानी की कमी से प्रति कट्ठा सात-आठ क्विंटल उत्पादन होने वाला ओल दो क्विंटल ही हो सका. रैनी के राम नारायण ठाकुर बताते हैं कि बारिश नहीं हुई. धान तो बरबाद हो ही गया, नमी नहीं रहने के कारण तोरी भी फेल कर गया. बीज का अंकुरण नहीं हुआ. धान में दाना नहीं आया. मजदूर काटने को तैयार नहीं हैं. क्या करें, बहुत बड़ा संकट है. कुढ़नी रजला के किसान राम उदार साह बताते हैं कि सीएम नीतीश कुमार से किसानों की उम्मीद फिर बढ़ी है. अधिकारियों से सीएम बारिश की रिपोर्ट मंगवाएं. जांच कर सुखाड़ घोषित करें ताकि किसानों को कुछ उम्मीद जगे. केरमा के किसान संतोष कुमार बताते हैं कि किसानों के लिए सीएम नीतीश कुमार उचित प्रबंध करें. नहीं तो, अन्नदाता हताश हो जायेगा. अब उन्हें किसानों पर ध्यान देने की जरूरत है.द्वारकापुर के किसान अवध बिहारी ठाकुर बताते हैं कि दीपावली के बाद जिले के प्रबुद्ध किसानों की मीटिंग करेंगे. प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेजेंगे. लगातार फसलों के फेल हो जाने के कारण किसान हतोत्साहित हो गये हैं. सीएम को ध्यान देना होगा. बंदरा के चांदपुरा निवासी सतीश कुमार द्विवेदी बताते हैं कि दीपावली व छठ से पूर्व किसानों के साथ बैठक करेंगे. तीन वर्षों से किसानों की बदहाल हो रही स्थिति का प्रस्ताव तैयार कर सीएम को भेजेंगे. जिले को सुखाड़ घोषित करने की जरूरत है. किसान संघर्ष मोरचा के संयोजक वीरेंद्र राय बताते हैं कि बिहार ही नहीं देश में किसानों की दुर्गति हो रही है. किसी को मतलब नहीं रह गया है. सरकार को किसानों पर गंभीरता पर ध्यान देने की जरूरत है अन्यथा किसान टूट जायेंगे. यह राज्य व देशहित में नहीं होगा.

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