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तीन साल में 11 गुना बढ़ा सेंट्रल जेल का राजस्व

मुजफ्फरपुर: शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में कैदी अपनी मेहनत से धन भी कमा रहे हैं. कैदियों की मेहनत से जेल को करोड़ों का फायदा हुआ है. साथ ही कैदियों की कमाई में भी काफी व‍ृद्धि हुई है. कैदियों की कमाई दस गुना तक बढ़ गयी है. पिछले तीन साल में कैदियों की मेहनत से […]

मुजफ्फरपुर: शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में कैदी अपनी मेहनत से धन भी कमा रहे हैं. कैदियों की मेहनत से जेल को करोड़ों का फायदा हुआ है. साथ ही कैदियों की कमाई में भी काफी व‍ृद्धि हुई है. कैदियों की कमाई दस गुना तक बढ़ गयी है. पिछले तीन साल में कैदियों की मेहनत से जेल का राजस्व 11 गुना बढ़ गया है. तीन साल पहले कैदी 43 सौ 20 रुपये ही कमाते थे. अभी 45 हजार से 50 हजार रुपये साल में कमा रहे हैं.
पांच करोड़ 25 लाख जेल का राजस्व
वर्ष 2012-13 में जेल का राजस्व महज 46 लाख था, जो वर्ष 2013-14 में बढ़ कर एक करोड़ 40 लाख हो गया. कैदियों ने एक साल में ही जेल का राजस्व तीन गुना बढ़ा दिया. वर्ष 2014-15 में दो करोड़ 55 लाख राजस्व प्राप्त हुआ. इस साल भी कैदियों ने जेल का राजस्व एक गुना और बढ़ा दिया है. वर्ष 2015-16 में जेल का राजस्व 5 करोड़ 25 लाख हो गया. सेंट्रल जेल में अभी 250 कैदी उद्योग कार्य में लगे हैं.
इन जेलों में भेजी जाती है सामग्री
सेंट्रल जेल मोतिहारी, भागलपुर, मंडलकारा शिवहर, सीतामढ़ी, दरभंगा, समस्तीपुर, बेतिया, छपरा, बिहार शरीफ, हाजीपुर, शेखपुरा, मुंगेर, खगड़िया, बेगूसराय, जहानाबाद, आरा, सासाराम, सहरसा, अररिया, भभुआ, गया, जमुई, शेरघाटी, पूर्णिया, सुपौल, फुलवारी शरीफ, सीवान, उपकारा में रोसड़ा, बेनीपुर, दलसिंहसराय, झंझारपुर, मधुबनी.
जेल में संचालित उद्योग
मशाला उद्योग, फिनाइल, कास्टिक, बंदी वस्त्र, अंबर चरखा, सरसों तेल, साबुन, मछरदानी, फर्नीचर, रजिस्ट्रर, आटा चक्की, बेसन, सत्तू आदि उद्योग चल रहे हैं.
कैंदियों ने हर साल अपनी मेहनत से राजस्व को बढ़ाया है. जेल का राजस्व बढ़ने से कैदियों की भी कमाई बढ़ी है. कैदियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जेल के लघु उद्योग से कैदियों को जोड़ा जा रहा है. कैदियों की कमाई उनके परिजन को भेजी जाती है.
ई जितेंद्र कुमार, सेंट्रल जेल, मुजफ्फरपुर

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