इसके लिए पहल भी शुरू हो चुकी है. हिंदी, इतिहास, जंतु विज्ञान व रसायन विभाग के अध्यक्षों ने अब तक बारह अलग-अलग संस्थानों के अधिकारियों से संपर्क भी साध चुके हैं. कई संस्थानों के साथ वार्ता काफी सकारात्मक रही है. विकास अधिकारी डॉ कल्याण कुमार झा की मानें तो इसमें से कुछ संस्थानों के साथ विभागों का अगले माह तक अनुबंध भी हो सकता है. इसकी प्रक्रिया जारी है.
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बाहरी संस्थानों में शोध करेंगे छात्र
मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि के पीजी विभाग इन दिनों शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. शोध के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. कोर्स के दौरान छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण की सुविधा भी नहीं मिल पा रही है. ऐसे में विभागों ने एक नयी पहल करते हुए बाहर के शिक्षण संस्थानों, कंपनियों व सरकारी संस्थानों […]
मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि के पीजी विभाग इन दिनों शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. शोध के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. कोर्स के दौरान छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण की सुविधा भी नहीं मिल पा रही है. ऐसे में विभागों ने एक नयी पहल करते हुए बाहर के शिक्षण संस्थानों, कंपनियों व सरकारी संस्थानों के साथ समझौता करने का फैसला लिया है.
अनुबंध होने के बाद संबंधित विभाग के छात्र-छात्रएं उक्त संस्थान में जाकर प्रशिक्षण हासिल कर सकते हैं. शोध के लिए वहां उपलब्ध उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं. संस्थान के विशेषज्ञ उन्हें शोध कार्य में मदद भी करेंगे. शिक्षक भी उनकी मदद से मेजर व माइनर प्रोजेक्ट पर काम कर सकते हैं. गौरतलब है कि नैक की तैयारी के तहत पिछले दिनों कुलपति डॉ पंडित पलांडे विज्ञान व मानवीकी संकाय के सभी विभागाध्यक्षों के साथ समीक्षा बैठक की थी. इसमें रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए विभागाध्यक्षों को बाहरी संस्थानों से समझौता करने का सुझाव दिया था. नैक मूल्यांकन में विवि को इसका फायदा भी मिलेगा.
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