मुजफ्फरपुर: सेवा स्थायी की मांग के लिए सूबे के 38 जिलों में संविदा पर बहाल स्वास्थ्यकर्मी चार अक्टूबर को राज्य स्वास्थ्य समिति का घेराव करेंगे. स्वास्थ्यकर्मी इस दिन स्वास्थ्य के कई अहम कार्यो को ठप कर घेराव में शामिल होंगे. खासकर इस दिन टीकाकरण का कार्य विशेष रूप से प्रभावित होगा. एक साथ करीब चौदह हजार कर्मियों की हड़ताल से सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्था भी बाधित होगी. प्रदर्शन को सफल बनाने के लिये जिला स्तर पर बैठकों का दौर पूरा कर लिया गया है.
स्वास्थ्यकर्मी अपनी मांगों को लेकर एकमत हो चुके हैं. बिहार स्टेट कॉन्ट्रेक्चुअल हेल्थ इंपलाइज फेडेरेशन के प्रदेश अध्यक्ष अफरोज हैदर ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति का घेराव करने के बाद सभी स्वास्थ्यकर्मी सीएम आवास पहुंच कर मांगों से संबंधित ज्ञापन सौपेंगे.
उन्होंने कहा कि चार अक्तूबर को आयोजित घेराव कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये सभी जोन में संघ के सदस्यों को तैयारी के लिये लगाया गया है. संविदा पर बहाल सभी कर्मियों की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है. प्रदर्शन के बाद भी उनकी मांगों को नहीं माना गया तो आंदोलन को और तेज किया जायेगा.
शामिल होंने वाले स्वास्थ्यकर्मी : प्रदर्शन में आठ रिजनल प्रोग्राम मैनेजर, आठ रिजनल एकाउंट मैनेजर, 38 डीपीएम, 38 जिला लेखा प्रबंधक, 38 जिला सामुदायिक उत्प्ररेक, 38 जिला योजना समन्वयक, 38 जिला डाटा असिस्टेंट, 535 स्वास्थ्य प्रबंधक, 535 लेखा प्रबंधक, 535 डीसीएम, 8000 एएनएमआर, 1600 एएनएम आर ए ग्रेड, 700 लैब तकनीशियन, आयुष सहित अन्य डॉक्टर के अलावा अन्य पदों पर बहाल करीब 14 हजार 391 स्वास्थ्यकर्मी घेराव में शामिल होंगे.
अन्य राज्यों की तरह स्थायी करने की मांग : बिहार स्टेट कॉन्ट्रेक्चुअल हेल्थ इंपलाइ फेडेरेशन के प्रदेश अध्यक्ष अफरोज हैदर ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के आदेश पर राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में संविदा पर बहाल स्वास्थ्यकर्मियों को स्थायी कर दिया गया है. समान काम के लिए समान वेतन व अन्य सुविधाएं दी जा रही है. लेकिन सूबे में यह नियम लागू नहीं है. संविदा पर बहाल स्वास्थ्यकर्मियों की अवधि पूरी होने के बाद उन्हें संविदा विस्तार की चिंता सताती रहती है. कई वर्षो से मानदेय में वृद्धि नहीं की गयी है. 15 फीसदी टीडीएस भी सरकारी सेवकों की तरह काटा जाने लगा है. इससे सभी स्वास्थ्यकर्मी असंतुष्ट हैं. इससे पहले भी स्वास्थ्यकर्मियों ने 13 मार्च को गांधी मैदान से कैंडिल मार्च निकाल कर मांगों से संबंधित ज्ञापन विभाग को सौंपा था, लेकिन उस पर कोई पहल नहीं हुई.