मुजफ्फरपुर: जिले में हर घंटे पांच लोग सांस की बीमारी का शिकार हो रहे हैं. यह बीमारी तेजी से शहर के लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही है. डॉक्टरी भाषा में इसे एक्यूट रिस्परेटरी इंफेक्शन के नाम से जाना जाता है. इस साल के पहले तीन महीनों में 10,796 लोग बीमारी की चपेट में आ चुके हैं. यह आकड़ा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय के अधीन काम कर रहे एकीकृत रोग निरीक्षण परियोजना की ओर से जारी किया गया है.
ये हैरान करनेवाला लगता है. इसके लिए मुख्य रूप से गंदगी व धूल को जिम्मेदार माना जा रहा है. एकीकृत रोग निरीक्षण परियोजना ने रिपोर्ट सदर अस्पताल व पीएचसी में आये मरीजों के आधार पर तैयार की है. इसमें निजी क्लीनिक शामिल नहीं है. ऐसा कहा जा सकता है, अगर निजी क्लीनिकों को शामिल किया जाता तो यह आकड़ा और बढ़ सकता था. सांस के मरीजों की संख्या 39 प्रकार की बीमारियों में सबसे ज्यादा है.
खतरनाक है बीमारी : साधारण सी लगने वाली यह बीमारी खतरनाक है. रोग जब गंभीर होता है तो मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है. हालांकि, जानकारी नहीं होने के कारण लोग इससे सचेत नहीं हो पाते. अस्पतालों में आने वाले दस मरीजों में तीन मरीज इस बीमारी के शिकार होते हैं. इसे रोकने के लिए सरकारी स्तर पर भी कोई योजना नहीं है. एकीकृत रोग निरीक्षण परियोजना के आंकड़े हैरान करनेवाले हैं.
हर जगह धूल व गंदगी : सांस की बीमारी से बचना जिले में संभव नहीं है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि शहर के ज्यादातर जगहों पर धूल व गंदगी है. साफ-सफाई का हालत बद से बदतर है. सड़क पर चलते समय मॉस्क काफी कम लोग प्रयोग करते हैं. बीमारी का एक कारण शहर में होनेवाले निर्माण कार्य भी हैं. जिन स्थानों पर निर्माण होता है. वहां पर धूल होती है. धूल ही बीमारी का मुख्य कारण है.