मुजफ्फरपुर: प्राथमिक स्कूलों में संस्कृत की पढ़ाई नहीं हो रही है. तीसरी से पांचवीं तक के कक्षा में दो साल से किताबों के नहीं पहुंचने से पढ़ाई बंद है. हालांकि पढ़ाई बंद करने के लिए शिक्षा विभाग के किसी भी अधिकारी का आदेश नहीं मिला है. संस्कृत की पढ़ाई क्यों बंद है, इसका जवाब भी किसी के पास नहीं है. शिक्षकों का कहना है, किताब के नहीं आने से संस्कृत की पढ़ाई दो साल से नहीं हो रही है. यह हाल मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, वैशाली, मोतिहारी, बेतिया और शिवहर का है. इस संबंध में अधिकारी भी कुछ बताने से इनकार करते हैं. संस्कृत विषय विद्यालयों की रूटीन से बाहर होना बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है. चार लाख से अधिक बच्चे देव भाषा की पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं. किताब उपलब्ध कराने का जिम्मा
बिहार स्टेट टेक्स्ट बुक पब्लिशिंग कॉरपोरेशन का है.
शिक्षक बोले
उमवि मधुबनी के शिक्षक संजय तिवारी व रामा शंकर कुमार बताते हैं कि संस्कृत की पढ़ाई बंद का कोई आदेश नहीं आया है. लेकिन किताब के अभाव में दो वर्षो से रूटीन से बाहर है. मवि खबरा के शिक्षक सुधीर कुमार भी ऐसा ही जवाब देते हैं. मवि सुस्ता के शिक्षक दीपक कुमार बताते हैं कि किताबें नहीं आ रही है. दो वर्षो से किताबें नहीं आ रही है. मोतीपुर के शिक्षक अखिलेश कुमार सिंह बताते हैं कि अब संस्कृत विषय की पढ़ाई वर्ग छह से आठ तक होती है. प्राथमिक विद्यालयों में नहीं होती है. पुस्तक न तो बाजार में है और न ही प्रकाशन की ओर से मिल रहा है. प्रावि डुमरिया के शिक्षक विनय कुमार विपिन बताते हैं कि द्वितीय भारतीय भाषा के साथ अन्याय है. बच्चों के बीच से एक भाषा का गायब होना काफी दुखद है. रामवि चकबरकुरबा कांटी के शिक्षक राकेश कुमार बताते हैं कि एक भाषा का शिक्षा से गायब होना संस्कृति के लिए भी घातक है.
शिक्षक संघ के नेता बोले
जिला प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रधान महासचिव राज किशोर तिवारी बताते हैं कि संस्कृत की किताब आपूर्ति करने में सरकार की रुचि नहीं है. शिक्षक भी नहीं है. पढ़ाई से कुल मिलाकर गुणवत्ता समाप्त है.बिहार परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर ब्रजवासी बताते हैं कि संस्कृत की पढ़ाई तो दो वर्ष पूर्व से नहीं हो रही है, लेकिन पढ़ाई से सरकार को मतलब कहां है? मेधावी छात्रों को कुंठित किया जा रहा है.