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शाही लीची में पिल्लू, तो चाइना में लगा फंगस

पुरबा हवा, नमी व उमस से बरबादी मुजफ्फरपुर : शाही लीची में की लगभग 90 फीसदी फसल में पिल्लू लग गया और चाइना फंगस रोग का शिकार हो गयी है, जिससे चाइना लीची की 50 फीसदी के आसपास फसल बरबाद हो गयी है. पेड़ से लीची बिना पके ही जमीन पर गिर रही है. इससे […]

पुरबा हवा, नमी व उमस से बरबादी
मुजफ्फरपुर : शाही लीची में की लगभग 90 फीसदी फसल में पिल्लू लग गया और चाइना फंगस रोग का शिकार हो गयी है, जिससे चाइना लीची की 50 फीसदी के आसपास फसल बरबाद हो गयी है.
पेड़ से लीची बिना पके ही जमीन पर गिर रही है. इससे किसानों के साथ लीची के व्यापारियों की परेशानी और बढ़ गयी है. लीची का अब कोई खरीदार नहीं मिल रहा है.
हालत ये है कि बाहर की मंडियों में लीची में पिल्लू देख कारोबारी भड़क रहे हैं. कीमत नहीं मिल रहू है. लीची व्यापारी घरेलू व दूसरे राज्यों के बाजार में औने-पौने दाम में लीची खपा रहे हैं. पिल्लू की वजह से किसान अपने दोस्त व करीबियों को भी लीची भेंट करने से परहेज कर रहे हैं.
लीची की बरबादी से पहले से किसानों का जजर्र आर्थिक ढांचा और खराब हो गया है. इनका कहना है, मौसम ने कहीं का नहीं छोड़ा. पुरवा हवा के कारण लीची फल में पहले पल्प नहीं हुआ. गुठली व छिलका कौन खरीदेगा. थम-थम कर बारिश होती रही. अब नमी के कारण उसमें
पिल्लू हो गया है. पुरवा हवा, उमस के कारण चाइना में फंगस रोग लग गया है. इसमें गलन हो रहा है. बागों में बिना पके ही लीची गिर रही है. एमबीआरआइ के संस्थापक अविनाश कहते हैं, लीची के पेड़ के नीचे जाने में डर लगता है, क्योंकि पूरी फसल चौपट हो गयी है.
बंदरा के सतीश कुमार द्विवेदी बताते हैं कि लीची में पल्प कम हुआ. 60 से 75 प्रतिशत फलों में दाग है. शाही के लगभग 90 फीसदी फलों में पिल्लू है. बारिश से बाद लीची की गुणवत्ता ही समाप्त हो गयी है. तीन हेक्टेयर की लीची 1.81 लाख रुपये में सौदा किया था. इसमें से 75 फीसदी भुगतान हुआ है. कांटी के मुरलीधर शर्मा बताते हैं कि लीची को पूरे सीजन में 80 फीसदी पछिया, तो 20 फीसदी पुरवा हवा चाहिए. आसमान साफ रहना चाहिए.
मौसम शुष्क रहना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पुरवा हवा व नमी लीची के लिए काफी नुकसान दायक साबित हो गया. गुदा का विकास कम हुआ. शाही में पिल्लू घर कर गया है. अपने आप गिर रहा है. चाइना लीची पुरवा हवा के कारण फंगस रोग का शिकार हो गया. समय से पहले ही लोग लीची तोड़ रहे हैं. छिड़काव भी इस वर्ष काम नहीं आया.

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