मुजफ्फरपुर: मनरेगा घोटाले का असर अब जिले में भी दिखने लगा है. योजना में गड़बड़ी की सजा मजदूरों को मिल रही है. यही वजह है कि तीन वर्ष पहले तक मनरेगा में रोजगार सृजन व राशि खर्च करने में अव्वल रहने वाला जिला विगत दो वित्तीय वर्षो से पिछले पायदान पर चला गया है. चालू वित्तीय वर्ष की ही बात करें तो पिछले पांच महीने में मनरेगा मद में 20 प्रतिशत राशि ही खर्च हुई है. वहीं, सात प्रतिशत मानव दिवस का सृजन किया गया है.
जिले में मनरेगा कार्य जांच व ऑडिट के पेच में फंस कर रुका हुआ है. कई प्रखंडों में मजदूरों के बकाया का भुगतान भी कई महीने से लंबित चल रहा है. इधर, मनरेग
जॉब कार्डधारी मजदूरी और काम के लिए पंचायत व जिला मुख्यालय तक का चक्कर लगा रहे हैं. खास कर जिले के बाढ़ प्रभावित उत्तरी पूर्वी इलाकों में मजदूरी नहीं मिलने से मजदूर दूसरे प्रदेशों का रुख कर रहे हैं.
ऑडिट से पिछड़ा जिला
वित्तीय वर्ष 2011- 12 में 10999.44 राशि व्यय कर 70.75 प्रतिशत मानव दिवस का सृजन हुआ था. 2012- 13 में 8427.26 लाख रुपये राशि व्यय कर 45 प्रतिशत मानव दिवस का सृजन व 2013- 14 में जून तक 1411. 3 लाख राशि खर्च 20 फीसदी जॉब कार्ड धारियों को काम दिया गया है. हालांकि, विभागीय जानकारी के अनुसार ऑडिट कार्य होने से यह स्थिति बनी है. ऑडिट होने पर व्यय का प्रतिशत बढ़ेगा.