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सात साल में भी नहीं मिला कनेक्शन

मुजफ्फरपुर: बिजली विभाग के अधिकारी भले ही 48 घंटे के अंदर नया कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए अभियंताओं को निर्देश देते हों, लेकिन अभी भी लोगों को इसके लिये वर्षों कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है. इसके बाद भी कनेक्शन नहीं मिल पाता है. इसका उदाहरण मीनापुर स्थित रामसहाय छपरा के मो अबजुल हैं. अबजुल […]

मुजफ्फरपुर: बिजली विभाग के अधिकारी भले ही 48 घंटे के अंदर नया कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए अभियंताओं को निर्देश देते हों, लेकिन अभी भी लोगों को इसके लिये वर्षों कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है. इसके बाद भी कनेक्शन नहीं मिल पाता है. इसका उदाहरण मीनापुर स्थित रामसहाय छपरा के मो अबजुल हैं. अबजुल ने 2006 में बिजली के लिए एसकेएमसीएच विद्युत उपकेंद्र में आवेदन दिया था. सात साल बीत जाने के बाद भी उसके घर में चिराग ही जल रहा है. बाबुओं व हाकिमों की आरजू व मिन्नत करके वे थक चुके हैं. अबजुल कहते हैं कि मुझे नहीं लगता कि मेरी जिंदगी में घर में बल्ब जलेगा. उन्होंने बताया कि वह बीपीएल कार्ड धारी हैं. कार्यालय में जाने पर बताया गया कि पहले 750 की रसीद कटेगी. इसके बाद ही बिजली दी जायेगी. कर्मचारी ने यह भी कहा कि क दो हजार रुपये दीजिए, हाथो-हाथ कनेक्शन मिल जायेगा.

गुल रही आधे शहर की बिजली

मुजफ्फरपुर त्र बेला फीडर के एक बार फिर ब्रेक डाउन में फंस जाने से शनिवार रात आधे शहर की बत्ती गुल रही. ओवर लोड चल रहे फीडर के ठप हो जाने से इससे जुड़े तीन लाख की आबादी को बिजली पानी के संकट का सामना करना पड़ा. उमस भरी गरमी में बिजली बंद रहने से लोग पंखे की हवा के लिए तरस कर रह गये. वहीं, सुबह होते ही पानी की किल्लत से जूझना पड़ा. छुट्टी के दिन सुबह पानी नहीं मिलने से लोगों की दिनचर्या खराब हो गयी. जंफर कटने के कारण यह स्थिति बनी. रात में जंफर नहीं जुड़ने के कारण मिस्कॉट, बेला व चंदवारा पावर स्टेशन से जुड़े इलाकों की बिजली बंद रही. सुबह आपूर्ति शुरू हुई तो पावर होल्ड कराने में दस बजे गये. इसके बाद बिजली की आवाजाही लगी हुई थी.

हर दूसरे दिन होता है ब्रेक डाउन : पॉश इलाके को बिजली देने वाला बेला फीडर हर दूसरे दिन ब्रेक डाउन में फंसता है. इसके कारण एक बड़ी आबादी को परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक सप्ताह के अंदर तार टूटने व जंफर गलने से तीसरी बार ब्रेक डाउन हुआ है.

तार नहीं उठा पा रहा भार : पुराने व कम क्षमता के तार व जंफर फीडर से जुड़े इलाकों का भार उठाने में सक्षम नहीं

है. फीडर में लगे तार की क्षमता अधिकतम 18 मेगावाट तक है. जबकि इस फीडर पर वर्तमान में 27 मेगावाट से अधिक भार है. बियाडा के उद्यमियों की मांग पर फीडर को डबल बनाने की बात हुई थी. मामला अब तक अटका हुआ है. उधर, तार टूटने व जंफर गलने का सिलसिला जारी है.

अंधकार में डूबा सर्राफा मंडी : पुरानी बाजार मोड़ का ट्रांसफॉर्मर खराब हो जाने से सर्राफा मंडी में एक सप्ताह से बिजली किल्लत बनी हुई है. हर एक दो घंटे पर फ्यूज उड़ जा रहा है. पिछले 24 घंटे में मुश्किल से दो तीन घंटे ही बिजली मिल पायी है. अखिल भारतीय सर्राफा संघ के महामंत्री लक्ष्मी नारायण गुप्ता ने डीजीएम को समस्या के समाधान के लिए ज्ञापन सौंपा है.

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