मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि के कुलपति डॉ रवि वर्मा 31 अगस्त को रिटायर कर रहे हैं. इसके बावजूद वे अपने पद पर बने रह सकते हैं. ऐसा सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी व न्यायमूर्ति वी गोपाल गौड़ा की खंडपीठ के जजमेंट के आधार पर संभव है. खंडपीठ ने 19 अगस्त को सुनाये अपने फैसले में पूर्व राज्यपाल देवानंद कुंवर द्वारा नियुक्त सभी कुलपति की नियुक्ति में नियमों की अनदेखी किये जाने के आधार पर अवैध करार दिया था. यही नहीं खंडपीठ ने राज्य सरकार को तीन माह के भीतर संशोधित नियमों के तहत नये कुलपति नियुक्त करने का आदेश दिया था.
साथ ही नये नियुक्ति होने तक विश्वविद्यालयों में जो लोग कुलपति व प्रतिकुलपति पद के चार्ज में हैं, उन्हें बनाये रखने का आदेश भी दिया गया. यदि इसे लागू किया जाता है तो डॉ वर्मा अपने पद पर बने रह सकते हैं.
हालांकि जानकार सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को दूसरे रूप में भी व्याख्या कर रहे हैं. उनके अनुसार डॉ रवि वर्मा को विवि में सबसे सीनियर शिक्षक होने के नाते कुलपति का चार्ज दिया गया था. रिटायरमेंट के बाद वे वरीय शिक्षक की योग्यता खो देंगे. ऐसे में उनके रिटायरमेंट के समय जो सबसे वरीय शिक्षक होंगे, उन्हें कुलपति का चार्ज दिया जा सकता है.
यदि ऐसा होता है तो वर्तमान प्रतिकुलपति डॉ राजेंद्र मिश्र
कुलपति के नये दावेदार हो सकते हैं. ऐसे में किसी विवाद से बचने के लिए विवि प्रशासन मामले को राजभवन के पाले में डालने का निर्णय लिया है. राज्यपाल के निर्देश के बाद ही कोई फैसला लिया जायेगा.